इंदौर: इंदौर के सुपर कॉरिडोर स्थित टिगरिया बादशाह और बांगरदा सीमा में इंफोसिस लिमिटेड को आवंटित 50 एकड़ जमीन सरकार ने वापस ले ली है। भोपाल से मिले निर्देश के बाद इंदौर के एसडीएम और तहसीलदार ने जमीन की नाप कर प्रत्येक खसरे की विस्तृत जानकारी तैयार कर ली है। भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2025 से पहले खाली जमीनों की सूची तैयार की जा रही है, ताकि अन्य उद्योगों को इसका फायदा मिल सके।
प्रशासन ने 36 खसरों की नाप पूरी कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। सरकार सभी जिलों से प्रदेश में खाली औद्योगिक जमीनों की जानकारी जुटा रही है। इसी कड़ी में इंफोसिस इंदौर ने 20.234 हेक्टेयर (करीब 50 एकड़) जमीन सरकार को वापस कर दी है। मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के उप सचिव के निर्देश के बाद जिला प्रशासन को इस जमीन की नाप कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया था। मल्हारगंज एसडीएम निधि वर्मा ने नाप पूरी कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। यह जमीन लीज डीड की शर्तों के तहत वापस ली गई है, क्योंकि इंफोसिस ने इस जमीन का पूरा उपयोग नहीं किया और लीज की शर्तों का उल्लंघन किया। अब यह जमीन दूसरे उद्योगों को लीज पर दी जा सकेगी।
कैबिनेट ने निवेश नीति 2016 के स्थान पर नई आईटी, आईटीईएस और ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति 2023 को मंजूरी दी है। इस नई नीति के तहत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई प्रावधान जोड़े गए हैं। सरकार का उद्देश्य आईटी और ईएसडीएम क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना और राज्य को नया आईटी हब बनाना है।
इंफोसिस द्वारा छोड़ी गई जमीन में कुल 36 खसरे थे
तहसीलदार शैवाल सिंह के अनुसार इंफोसिस द्वारा छोड़ी गई जमीन में कुल 36 खसरे थे, जिनकी पैमाइश कर सूची सरकार को भेजी जा रही है। इससे पहले भी तत्कालीन जिला कलेक्टर मनीष सिंह ने इंफोसिस और टीसीएस को नोटिस जारी किए थे, क्योंकि दोनों कंपनियां स्थानीय उम्मीदवारों को नौकरी देने और पूरी जमीन का उपयोग करने की लीज शर्तों को पूरा नहीं कर पाई थीं। सरकार ने अब इस भूमि का बेहतर उपयोग करने के लिए नई योजना बनाई है, ताकि अन्य उद्योगों को भी इसका लाभ मिल सके।