Bhopal Gas Tragedy : भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों को 7 हजार 844 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने की केंद्र की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1989 में सरकार और कंपनी में मुआवजे पर समझौता हुआ। अब फिर मुआवजे का आदेश नहीं दे सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने 1984 भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए केंद्र की याचिका खारिज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजा काफी था। अगर सरकार को ज्यादा मुआवजा जरूरी लगता है तो खुद देना चाहिए था।
‘दो दशक बाद मामले को उठाने का नहीं है कोई तर्क’
जज संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि मामले को सुलझाने के दो दशक बाद भी केंद्र द्वारा इस मुद्दे को उठाने का कोई तर्क नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों के लिए आरबीआई के पास पड़े 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा पीड़ितों के लंबित दावों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
पीठ ने क्या कहा–
पीठ ने कहा हम दो दशकों के बाद इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तर्क प्रस्तुत नहीं करने के लिए भारत सरकार से असंतुष्ट हैं, हमारा मानना है कि सुधारात्मक याचिकाओं पर विचार नहीं किया जा सकता है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पीड़ितों को और ज्यादा मुआवजा देने के लिए फर्मों से अतिरिक्त 7 हजार 400 करोड़ रुपए की देने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अबडाऊ कैमिकल्स के साथ समझौता फिर से नहीं खुलेगा. जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके महेश्वर की पीठ ने भी 12 जनवरी को केंद्र की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो ‘पेंडोरा बॉक्स’ खुल जाएगा. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक के पास मौजूद 50 करोड़ रुपए का इस्तेमाल लंबित दावों को मुआवजा देने के लिए करे. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समझौते को सिर्फ फ्रॉड के आधार पर रद्द किया जा सकता है. केंद्र सरकार की तरफ से समझौते में फ्रॉड को लेकर कोई दलील नहीं दी गई.
क्या है मामला
बता दें कि 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर केंद्र द्वारा क्यूरेटिव पिटीशन दायर की गई थी। वहीं, यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो 1989 में हुए समझौते के अलावा भोपाल गैस पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं देगा। उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस त्रासदी में 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 1.02 लाख प्रभावित हुए थे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने यह याचिका इसलिए दायर की थी, क्योंकि जहरीली गैस रिसाव के कारण होने वाली बीमारियों के लिए लंबे समय से पर्याप्त मुआवजे और सही इलाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने यह याचिका दिसंबर 2010 में दायर की थी. 7 जून 2010 को भोपाल की एक अदालत ने यूसीआईएल के 7 अधिकारियों को 2 साल की सजा सुनाई थी.