भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार का दूसरा बजट पेश हो गया है. वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने गरीबों, युवा शक्ति, किसानों और महिला शक्ति को समर्पित एमपी का बजट 2025-26 पेश किया. मोहन सरकार के इस बजट पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने प्रतिक्रिया दी है. कमल नाथ ने मोहन सरकार के इस बजट पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि यह बजट शब्दों की मिठाई बनाने का बजट है. उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर इस संदर्भ में एक पोस्ट किया है. जिसमें लिखा है… शब्दों की मिठाई का बजट, जनहित का सफाया… जानिए पूर्व सीएम कमल नाथ ने और क्या कहा।
शब्दों की मिठाई का बजट, जनहित का सफाया- सोशल मीडिया X पर लिखा
कमल नाथ ने इस पोस्ट में लिखा है कि, 'मध्य प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा द्वारा आज पेश किए गए बजट में सिर्फ शब्दों की मिठाई बनाई गई है और जनहित के मुद्दे पूरी तरह से खत्म कर दिए गए हैं. हद तो यह है कि चुनाव के बाद दूसरा बजट पेश किया गया लेकिन चुनाव में किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं. लाड़ली बहना योजना को लेकर 3000 रुपए देने का वादा अधूरा रहा कमल नाथ ने लाड़ली बहना योजना को लेकर भी मोहन सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश की बहनें बजट में लाड़ली बहना योजना में उन्हें 3000 रुपए प्रतिमाह दिए जाने की घोषणा का इंतजार कर रही थीं। लेकिन सरकार ने अपने चुनावी वादे के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। वहीं दूसरी ओर मौजूदा सरकार के गठन के बाद से लाड़ली बहना योजना में महिलाओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
ऐसा नहीं है कि मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ लाड़ली बहना योजना में ही हितग्राहियों की संख्या कम कर रही है, बल्कि कन्या विवाह योजना में भी 2023-24 के मुकाबले 2024-25 में 77 फीसदी हितग्राही कम हुए हैं। 2023-24 में जहां 59445 बेटियों को कन्या विवाह योजना का हितग्राही बनाया गया था, वहीं 2024-25 में यह संख्या घटकर 13490 रह गई है।
किसान भाइयों की उम्मीदें धराशायी
इसी तरह किसान भाई उम्मीद लगाए बैठे थे कि बजट में भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार गेहूं और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2700 प्रति क्विंटल और ₹3100 प्रति क्विंटल घोषित किया जाएगा, लेकिन वित्त मंत्री ने इस बारे में भी एक शब्द नहीं कहा। मध्य प्रदेश का किसान खाद, बीज, बिजली और पानी के संकट से लगातार जूझता रहता है, लेकिन बजट में इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
एमपी में रोजगार को लेकर भी कमल नाथ ने सरकार पर जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा, 'पिछले बजट में वित्त मंत्री ने प्रदेश में रोजगार सृजन का वादा किया था, लेकिन इस बजट में ऐसा कोई आंकड़ा पेश नहीं किया गया कि पिछले 1 साल में प्रदेश में कितनी सरकारी नौकरियां, कितनी निजी नौकरियां और कितना रोजगार सृजित हुआ। बल्कि कल सरकार द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में यह स्वीकार किया गया है कि निजी क्षेत्र में 15000 नौकरियां कम हो गई हैं।'
मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा पिछली बार भी की थी
कमलनाथ ने आगे कहा, 'वित्त मंत्री ने 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने की घोषणा की है, लेकिन यह नहीं बताया कि पिछले साल जिन मेडिकल कॉलेजों को खोलने की घोषणा की गई थी, उनके संबंध में अब तक क्या प्रगति हुई है। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की हालत यह है कि आज तक पीएम श्री कॉलेज और सीएम राइज स्कूल कांग्रेस सरकार के समय बने स्कूल और कॉलेज भवनों में चल रहे हैं। वहां योग्य शैक्षणिक स्टाफ तक की नियुक्ति नहीं की गई है।
टैक्स लगाने की जिम्मेदारी जीएसटी काउंसिल की, नाकी इनकी
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने टैक्स न बढ़ाने के मुद्दे पर भी प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा, 'वित्त मंत्री इस बात का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार ने जनता पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया है। लेकिन सच्चाई यह है कि टैक्स लगाने के ज्यादातर मामले जीएसटी के तहत जीएसटी काउंसिल के पास हैं और राज्य सरकार का इसमें कोई खास दखल नहीं है। इसी तरह राज्य में पहले से ही पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक वैट है, ऐसे में टैक्स बढ़ाने की बजाय इसे कम करने के बारे में सोचना चाहिए।' मध्य प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को कम करने की दिशा में सरकार की कोई सोच नहीं बजट से साफ है कि मध्य प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को कम करने की दिशा में सरकार की कोई सोच नहीं है।
हालात ये हैं कि मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज लगभग उतना ही है जितना मध्य प्रदेश सरकार का बजट है। राज्य पर 4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। पिछली भाजपा सरकार की तरह मौजूदा सरकार भी कर्ज लेकर ऐशो-आराम करने की रणनीति पर चल रही है। कर्ज की यह रकम मध्य प्रदेश के किसानों, युवाओं और महिलाओं के विकास पर नहीं बल्कि सरकारी तमाशे पर खर्च होनी है।