भोपाल । मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटें के लिए भाजपा एक साथ कई मोर्चों पर तेजी से काम करने में जुट गई है। पार्टी का फोकस 2019 में हारी हुई एक मात्र छिंदवाड़ा लोकसभा सीटों के साथ-साथ उन सीटों पर भी है, जहां से भाजपा सांसद लगातार जीत रहे हैं। खासतौर से उन सीटों पर जहां से एक ही नेता ने लोकसभा का पिछला दोनों चुनाव जीता हो।
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर सांसदों की लोकप्रियता और जनता से उनका जुड़ाव भी जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भाजपा इससे पहले भी कई बार विभिन्न राज्यों में नेताओं के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की धार को कुंद करने के लिए बड़े पैमाने पर अपने चुने हुए नेताओं का टिकट काट चुकी है और भाजपा को इसका लाभ भी हासिल हुआ है। इसलिए भाजपा के टिकट पर एक ही सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले सांसद, खासतौर से ऐसे सांसद जो 2014 और 2019 का चुनाव एक ही क्षेत्र से जीते हैं, उन्हें 2024 में भी अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए अपनी लोकप्रियता साबित करनी होगी।
पार्टी के आला नेता लगातार मप्र के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर सांसदों के कामकाज को लेकर फीडबैक लिया जाएगा। भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, प्रदेश प्रभारी पी. मुरलीधर राव, सह प्रभारी पंकजा मुंडे और रामशंकर कठेरिया प्रदेश के अलग-अलग जिलों का दौरा कर लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेंगे और साथ ही सांसदों के कामकाज और लोकप्रियता को लेकर फीडबैक भी लेंगे। सूत्रों की मानें तो चुनाव आते-आते भाजपा कई स्तरों पर उम्मीदवार के चयन को लेकर सर्वे भी कराएगी और इन तमाम सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय किया जाएगा कि किस सीट से किस नेता को चुनावी मैदान में उतारा जाए, किस सांसद का सीट बदला जाए और किस सांसद का टिकट काट दिया जाए। 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा को 28 और कांग्रेस को 1 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
मप्र में कई मौजूदा सांसदों का कट सकता है टिकट
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