पंजाब-हरियाणा: गांव बाघोत के रहने वाले 26 वर्षीय मोहित के शव का 55 दिन बाद भी अंतिम संस्कार नहीं किए जाने पर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान लिया है। बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा अगर परिवार के लोग अंतिम संस्कार नहीं करते तो प्रशासन और पुलिस अंतिम संस्कार कराए।
फांसी लगाकर की थी आत्महत्या
हरियाणा सरकार की ओर से डीएजी सहित पुलिस इंस्पेक्टर व तहसीलदार पेश हुए। दूसरी ओर वादी कैलाशचंद तथा उनके अधिवक्ता पेश हुए। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश हरप्रीत सिंह बरार ने वादी कैलाशचंद को बेटे का अंतिम संस्कार करने के आदेश दिए। मोहित ने 13 दिसंबर 2024 की रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सूचना मिलने पर पुलिस ने शव को उप नागरिक अस्पताल कनीना भिजवा दिया। 14 दिसंबर को शव का पोस्टमार्टम करवा दिया गया। मोहित के पिता कैलाशचंद ने भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा सहित आठ व्यक्तियों के विरूद्ध केस दर्ज करने की मांग करते हुए शव का अंतिम संस्कार नहीं किया।
पुलिस ने नहीं दर्ज की थी एफआइआर
पुलिस कैलाश चंद से पूर्व मंत्री व अन्य आरोपितों के विरुद्ध सबूत मांगती रही और एफआइआर दर्ज नहीं की। मोहित के पिता आरोप है पूर्व मंत्री तथा अन्य की सह पर उनके बेटे के विरुद्ध दुष्कर्म के मामले में सह अभियुक्त बनाया गया, जबकि मामला झूठा था। मानसिक रूप से परेशान होने के बाद मोहित ने आत्महत्या कर ली।
फ्रीजर में रखा हुआ है शव
जब तक पुलिस आरोपितों के विरुद्ध मामला नहीं दर्ज करेगी वह अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। इस वजह से पिछले 55 दिन से मोहित का शव उप नागरिक अस्पताल कनीना के फ्रीजर में रखा हुआ है। दुर्गंध भी उठने लगी है। कैलाशचंद की ओर से मामले की जांच को लेकर गठित की गई एसआइटी को लेकर उठाए गए सवाल पर न्यायाधीश ने दूसरी एसआइटी गठित करने तथा अन्य जिले के एसपी से उनके आरोपों की जांच कराने के भी आदेश दिए हैं। नई एसआइटी कैलाशचंद द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी में लगाए गए आरोपों की जांच करेगी.
हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन पहुंचा था मामला
इससे पूर्व हाई कोर्ट ने 16 जनवरी को सुनवाई करते हुए कैलाशचंद को मोहित का तीन दिन में अंतिम संस्कार करने, अर्जी में लगाए गए आरोपों की जांच आइपीएस अधिकारी से करवाने तथा मृतक के पिता को भी तफ्तीश में शामिल होने के भी आदेश दिए थे। जिन्हें नजरअंदाज कर दिया गया था। इस बीच गांव पड़तल के सरपंच रोशनलाल इंदोरा ने अधिवक्ता पदमकांत के माध्यम से जनहित को देखते हुए एक दरखास्त हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन में दाखिल की थी। इसे आयोग ने मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के दृष्टिगत तीन फरवरी को हुई सुनवाई में खारिज कर दिया।
प्रशासन की ओर से कौन हुआ पेश
बुधवार को हुई सुनवाई में प्रशासन की ओर से निरीक्षक मुकेश कुमार व तहसीलदार उपस्थित हुए। अधिवक्ता सत्यारायण यादव ने बताया मामले की सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से एसपी की जांच व एसआइटी के गठन पर सवाल उठाए। जिस पर न्यायाधीश ने इसकी जांच दूसरे जिले के एसपी से करवाने तथा दूसरी एसआइटी का गठन करने के आदेश दिए। इसके अलावा शव दाह संस्कार करने का भी आदेश देते हुए कहा कि मृतक के वारिस संस्कार नहीं करते हैं तो पुलिस प्रशासन इसका दाह संस्कार करवाए। उधर, पूर्व मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा कैलाशचंद के आरोपों को निराधार बता रहे हैं। वह पहले ही कह चुके हैं कि वह जांच के लिए तैयार हैं।