राजस्थान के मत्स्य विभाग का एक टेंडर सवालों के घेरे में है। टेंडर में घपलेबाजी की पोल एक मशीन के जरिए खुली। चूरू जिले में लैब के लिए एक खास हॉट एयर ओवन चाहिए था, जो 3500 डिग्री सेल्सियस तक तापमान दे सके। नासा के रॉकेट इंजन का तापमान भी इससे कम 3316°C होता है। हैरानी की बात ये है कि एक कंपनी ने टेंडर भी भर दिया और कहा कि ऐसा ओवन उपलब्ध कराएगी। विभाग ने भी बिना किसी तकनीकी सत्यापन के उस फर्म को लाखों का टेंडर जारी कर दिया। टेंडर जीतने वाली फर्म ने वो मशीन डिलीवर भी कर दी है। अब विभाग यह नहीं बता पा रहा है कि वो मशीन कितने डिग्री तापमान जनरेट करती है। इस टेंडर की क्या शर्तें थीं? किस तरह घोटाले को अंजाम दिया गया?
क्या था मामला आइए जानते हैं?
विभाग की तरफ से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए कई जिलों में लैब बनाई जा रही है। इन लैब में मत्स्य प्रजनन कार्य और नए रिसर्च किए जाएंगे। 14 फरवरी 2025 को मत्स्य विभाग ने चूरू जिले में प्रयोगशाला की स्थापना के लिए उपकरणों की आपूर्ति के लिए टेंडर मांगा। इस टेंडर में कुल 10 कंपनियों ने भाग लिया, जिनमें से 3 को तकनीकी रूप से योग्य माना गया। ₹75.6 लाख की सबसे कम बोली लगाने वाली श्रीगंगानगर की ओमेगा साइंटिफिक एजेंसी को यह टेंडर दिया गया।
टेंडर में मांगे गए उपकरणों की सूची में शामिल थे- रेफ्रिजरेटर, डीप फ्रीजर, डिस्टिलेशन यूनिट, इलेक्ट्रॉनिक बैलेंस, नैनो ड्रॉप, मल्टी पैरामीटर वाटर क्वालिटी एनालाइजर, ऑटोक्लेव, जेल डॉक्यूमेंटेशन सिस्टम, आइस फ्लैकिंग मशीन, BOD इनक्यूबेटर, लेमिनार एयर चैंबर, UV-visible स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, PCR मशीन, केमिकल्स, ग्लासवेयर और सबसे खास- हॉट एयर ओवन।
इस हॉट एयर ओवन के लिए विभाग ने शर्त रखी थी कि इसकी तापमान सीमा 3500 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए। वैज्ञानिक मानकों के अनुसार, यह तापमान किसी भी सामान्य लैब ओवन के लिए संभव नहीं है। NASA के रॉकेट इंजन का तापमान भी इससे कम तकरीबन 3316 डिग्री सेल्सियस होता है। फिर भी यह शर्त टेंडर में दर्ज की गई।
श्रीगंगानगर की ओमेगा साइंटिफिक एजेंसी ने दावा किया कि वह ऐसा ओवन सप्लाई कर सकती है। विभाग ने इस दावे को स्वीकार करते हुए कंपनी को टेंडर भी जारी कर दिया।
RTI से हुआ खुलासा
सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, विभाग ने यह स्वीकार किया कि हॉट एयर ओवन के लिए 3500 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा मांगी गई थी। विभाग ने यह भी बताया कि अब तक ओवन का इंस्टॉलेशन नहीं हुआ है, इसलिए उसकी कार्यक्षमता का कोई परीक्षण नहीं किया गया है। परीक्षण बाद में किया जाएगा।