राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही राज्यों की सूची में एक ऐतिहासिक पन्ना जुड़ जाएगा। 27 साल बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने जा रही है।
चूंकि 12 एकड़ का रामलीला मैदान कई राजनीतिक और सामाजिक आयोजनों का गवाह रहा है, इसलिए नई सरकार के लिए रामलीला मैदान का चयन किसी को भी हैरान नहीं कर रहा है।
रामलीला मैदान जो 1930 तक तालाब हुआ करता था, उसे रामलीलाओं के आयोजन के लिए भरकर समतल कर दिया गया था। 1932 में शुरू हुआ रामलीला का आयोजन आज तक जारी है। रामलीलाओं के आयोजन के कारण ही इस मैदान का नाम रामलीला मैदान रखा गया।
ब्रिटिश काल में अजमेरी गेट तक रामलीला मैदान का दायरा
जानकारों के अनुसार, ब्रिटिश काल में रामलीला मैदान अजमेरी गेट के पार फैला हुआ था। मौजूदा कमला मार्केट भी इसका हिस्सा था। आजादी के बाद 1951 में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को रोजगार देने के लिए इसे विकसित किया गया था।
क्यों खास है रामलीला मैदान?
दिल्ली में भाजपा सरकार का शपथ ग्रहण समारोह इसलिए भी खास है क्योंकि भाजपा के आदर्श श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1952 में यहीं से जम्मू-कश्मीर पर सत्याग्रह की शुरुआत की थी। इसके साथ ही भाजपा की राजनीति के केंद्र में रहे भगवान राम के नाम पर इस मैदान का नाम रामलीला मैदान रखा गया है।
हालांकि, पीएम रहते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1956 और 57 में रामलीला मैदान में विशाल जनसभाएं की थीं। वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की तो इसी दिन 25 जून को अटल बिहारी वाजपेयी ने जयप्रकाश नारायण के साथ इसी रामलीला मैदान में रैली को संबोधित किया था।
जहां अटल बिहारी वाजपेयी भी मौजूद थे। इससे पहले 1962 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ भारत आई थीं। उनके सम्मान में रामलीला मैदान में एक जनसभा होनी थी। इसलिए वहां एक स्थायी मंच बनाया गया था।
1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध जीतने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसी रामलीला मैदान में रैली की थी। 26 नवंबर 1974 को सोवियत संघ के शीर्ष नेता ब्रेझनेव के सम्मान में रामलीला मैदान में एक जनसभा आयोजित की गई थी।
राजनिवास से बाहर केवल दो सीएम का हुआ शपथग्रहण
बता दें कि दिल्ली के आठवें सीएम का शपथ ग्रहण 20 फरवरी को होगा। ऐसे में वह तीसरे सीएम होंगे जो राजनिवास के बाहर शपथ लेंगे। इससे पहले साहिब सिंह वर्मा का सीएम पद का शपथ ग्रहण छत्रसाल स्टेडियम में हुआ था।
इसके बाद 2013 में अरविंद केजरीवाल ने यहीं शपथ ली थी। 2015 और 2020 में अरविंद केजरीवाल सरकार का शपथ ग्रहण यहीं हुआ था। जब अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दिया था, तब आतिशी और उनकी कैबिनेट ने भी राजनिवास में ही शपथ ली थी। इससे पहले मदनलाल खुराना, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित ने राजनिवास में ही शपथ ली थी।
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का गवाह भी बना मैदान
रामलीला मैदान कई ऐतिहासिक रैलियों का गवाह रहा है। यह रामलीला मैदान भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का गवाह रहा है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2011 में लोकपाल के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा रहते हुए इसी मैदान में सीएम पद की शपथ ली थी।
साल 2011 में योग गुरु बाबा रामदेव ने भी यहां भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन किया था। बाबा रामदेव के आंदोलन के दौरान 5 जून 2011 की रात को पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए थे। वहीं अन्ना के आंदोलन ने अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम को नई पहचान दी।
चल रहा है रंगरोगन, पहुंच गया है टैंट का सामान
हालांकि रामलीला मैदान को आधिकारिक तौर पर शपथ ग्रहण समारोह के लिए बुक नहीं किया गया है, लेकिन सरकार ने यहां शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसलिए निगम के इंजीनियरिंग विभाग ने यहां रंग-रोगन का काम किया।
साथ ही एमसीडी कर्मचारियों ने मैदान पर पड़े गड्ढों और कूड़े को साफ किया। टेंट का सामान भी आ गया है। टेंट लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
टेंट लगाने के बाद पुलिस जांच आदि के लिए बूथ बनाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं सोफे और कुर्सियां भी आनी शुरू हो गई हैं।
यहां पुलिसकर्मी भी तैनात नजर आए। इसके साथ ही भाजपा नेताओं ने भी शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों का जायजा लिया। वहीं, दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी भी यहां निरीक्षण के लिए पहुंचे।