One Nation, One Election: केंद्र सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर कमेटी का गठन कर दिया है. केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेठी गठित की है. कमेटी कानून के सभी पहलुओं पर विचार करेगी. बताया जा रहा है कि इस कमेटी के सदस्यों को लेकर आज ही नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. यानी जल्द ही इस कमेटी के अन्य सदस्यों के नाम की जानकारी साझा की जा सकती है. ऐसे में केंद्र के इस फैसले से एक बार फिर उन अटकलों को हवा मिल गई है कि इस बार लोकसभा चुनाव वक्त से पहले हो सकते हैं.
सरकार की दलील
इस फैसले की जानकारी होते ही बीजेपी के कई नेताओं ने इसे देश के बेहतर भविष्य के लिए उठाया जाने वाला सही फैसला बताया है. वहीं इस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर केंद्र की दलील है कि लॉ कमीशन ने रिपोर्ट में कहा जा चुका है कि देश में बार-बार चुनाव कराए जाने से सरकारी खजाने के पैसे और संसाधनों की जरूरत से अधिक बर्बादी होती है. संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव करना संभव नहीं है इसलिए हमने कुछ जरूरी संवैधानिक संशोधन करने के सुझाव दिए हैं. वहीं आयोग ने सुनिश्चित किया है कि संविधान में आमूलचूल संशोधन की जरूरत है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए.
गौरतलब है कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप और रूपरेखा तैयार करने के वास्ते मामले को आगे की जांच के लिए विधि आयोग के पास भेज दिया गया है. वहीं संवैधानिक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर एक देश-एक कानून बिल को लागू किया जाता है तो इसके लिए संविधान में कम से कम 5 संशोधन किए जाने चाहिए. आपको बता दें कि इससे पहले देश में 1951-1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और सभी विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए गए थे.
सरकार ने बुलाया 5 दिन का संसद सत्र
केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से संसद का 5 दिन विशेष सत्र बुलाया है। सरकार इस सत्र के दौरान ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश कर सकती है। इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभा चुनावों के एक साथ संचालन का प्रावधान करना होगा। सूत्रों का कहना है कि विशेष सत्र में संसदीय कार्यों को संसद के नए भवन में स्थानांतरित किया जा सकता है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता और ‘अमृत काल’ के लिए सरकार के लक्ष्य भी चर्चा का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि, 2024 के चुनावों से पहले भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पास अभी भी कई महत्वपूर्ण विधायी और राजनीतिक एजेंडे हैं। आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को बदलने के उद्देश्य से तीन विधेयक जांच के लिए गृह मामलों की स्थायी समिति के पास हैं। सरकार की जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाने की भी योजना है।