रामानन्द इति ख्यातो लोकोद्धरणकारणः।
आचार्यलक्षणैर्युक्तं वेदवेदान्तपरागम् ॥
श्रीसंप्रदायश्रेष्ठञ्च जनोद्धारपरं सदा ।
विज्ञाय राघवानन्दं लब्ध्वा तस्मात् षडक्षरम् ॥
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य लगभग पूरा होने जा रहा है। इस बीच भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बैठकों का दौरा चल रहा है। विगत दिवस मंदिर समिति की बैठक में फैसला किया गया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा रामानंदीय परंपरा के अनुरूप होगी। जल्द ही समिति में शामिल रामनगरी के संतों के साथ इसको लेकर बैठक की जाएगी।वहीं, बैठक से पहले समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने निर्माणाधीन मंदिर समेत अन्य योजनाओं की भौतिक प्रगति पर जानकारी एकत्र की । इस बीच तय हुआ है कि श्रीराम जन्मभूमि परिसर सहित मंदिर के लिंक मार्गों व श्रीराम जन्मभूमि पथ के साथ भक्तिपथ पर भी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
श्री समिति के अध्यक्ष ने राम जन्मभूमि पथ के निरीक्षण के दौरान केनोपी व प्रवेश द्वार के निर्माण कार्यों की गति बढ़ाने का निर्देश दिया है। साथ ही मंदिर परिसर में बन रहे तीर्थयात्री सुविधा केंद्र के निर्माण की गति भी तेज करने को कहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॅा.अनिल मिश्र ने बताया कि भीड़ नियंत्रण व भक्तों को बेहतर सुविधाएं देने पर जोर है। बाग बिजेसी में टेंट सिटी का निर्माण हो रहा है। कारसेवकपुरम में जमीन समतलीकरण का काम पूरा हो चुका है, अब टेंट लगाए जा रहे हैं। भक्तों के रहने, खाने से लेकर इलाज तक की व्यवस्था की जा रही है।
क्या है रामानंदी परंपरा
रामानंदी परंपरा आज से हजारों साल पुरानी है। इस परंपरा में भगवान राम, सीता और हनुमान के साथ-साथ सीधे विष्णु और उनके अन्य अवतारों की पूजा पर जोर दिया जाता है। भगवान राम के इस काज हेतु उन तपस्वीयों को बुलाया जा रहा है, जो नागा साधू के रूप में गंगा के मैदान के आसपास और नेपाल में सबसे बड़े और सबसे समतावादी हिंदू संप्रदायों में से एक है । रामानंदी तपस्वी ध्यान और कठोर तप प्रथाओं पर भरोसा करते हैं , संन्यासियों का त्याग वर्ग आज में अतुलनीय है। इसी बात को ध्यान में रख मंदिर समिति ने रामानंदी तपस्वीयों के हाथों एवं इस परंपरा अनुसार प्राण प्रतिष्ठा का निर्णया लिया है।