उज्जैन। श्रीमहाकाल लोक उज्जैन का कायाकल्प अब नए शिरे से होने जा रहा है। फाइबर-रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक एफआरपी की मूर्तियों को यहां से हटाने की योजना बनी है, साथ ही उसके स्थान पर लाल पत्थर की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। जानकारी के मुताबिक प्रशासन ने यह निणर्य एफआरपी की मूर्तियों में शिकायत आने के बाद लिया है। सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में यहां सप्त ऋषियों की सात और भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति बनेगी। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र में हरिफाटक पुल के नीचे संभागीय हाट बाजार में महादेव शिल्पकला कार्यशाला में इसका निर्माण शुरू हुआ। श्री महाकाल महालोक में एफआरपी से बनी 100 से अधिक देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। निश्चित तौर पर कुछ साल बाद इन्हें बदलने की आवश्यकता पड़ेगी। ऐसे में कार्यशाला में बनी मूर्तियों को आसानी से यहां प्रतिस्थापित किया जा सकेगा। 136 वर्ष पुराने कोठी महल में 1 मार्च को वीर भारत संग्रहालय का शिलान्यास किया गया है। ये संग्रहालय, देश के कालजयी महानायकों की तेजस्विता को प्रतिबिंबित करेगा। यहां देश के तेजस्वी नायकों और सत्पुरुषों की प्रेरक कथाओं, संदेशों, चरित्रों का चित्रांकन, उत्कीर्णन, शिल्पांकन, ध्वन्यांकन पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों से होगा। ऐसे में ऐसे तेजस्वी नायकों की बनाई मूर्तियां भी संग्रहालय का हिस्सा बन सकेंगी।
राजस्थान से लाया गया लाल पत्थर
राजस्थान के भरतपुर जिले के रूपवासस्थित बंसी पहाड़पुर का लाल पत्थर मूर्ति निर्माण के लिए लाया गया है। मूर्ति का निर्माण कोणार्क, ओडिसा के कलाकारों द्वारा कियाजाएगा। वे स्थानीय कलाकारों को मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण भी देंगे। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी और त्रिवेणी कला संग्रहालय से जुड़े अशोक मिश्रा ने कहा है कि आने वाले समय में महाकाल की नगरी उज्जैन, मूर्तिकला का सबसे बड़ा केंद्र बनेगा।