Wayanad Bypoll: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. उनके 13 नवंबर को केरल की वायनाड सीट से पर्चा भरने की अटकलें जोरों पर हैं. बता दें कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ दो लोकसभा सीटों और 48 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों की तारीखों का भी ऐलान कर दिया.
जून में आए लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया था कि प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगी. उनके भाई राहुल गांधी द्वारा वायनाड सीट से इस्तीफा देने के बाद से यह सीट खाली हो गई थी.
राहुल गांधी के इस्तीफा देने से खाली हो गई थी सीट
बता दें कि राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड दो जगह से चुनाव लड़ा था और दोनों ही जगह जीत दर्ज की थी. हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद राहुल ने अपने परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली से संसद रहना बेहतर समझा.
1999 में राजनीति में उतरी थीं प्रियंका
बता दें कि प्रियंका गांधी ने 1999 में पहली बार राजनीति में एंट्री ली थी, तब उन्होंने अमेठी सीट पर अपनी मां सोनिया गांधी के लिए बीजेपी उम्मीदवार अरुण नेहरू के खिलाफ प्रचार का जिम्मा संभाला था, हालांकि उन्होंने कभी भी चुनाव नहीं लड़ा. उनके चाहने वाले चाहते थे कि प्रियंका अपनी दादी और अपनी मां की विरासत को संभालें, हालांकि अब वो वक्त आ गया है. प्रियंका वायनाड सीट से चुनावी समर में कदम रख सकती हैं.
चुनावी रणनीति का हिस्सा
प्रियंका गांधी को वायनाड से लड़ाना कांग्रेस पार्टी की रणनीति का हिस्सा है. इसके जरिए पार्टी दक्षिण भारत, विशेष रूप से केरल में अपना विस्तार करना चाहती है. कांग्रेस कर्नाटक और तेलंगाना में सत्ता में है और तमिलनाडु में वह डीएमके की सहयोगी है. उत्तर भारत के विपरीत, जहां बीजेपी काफी मजबूत है, कांग्रेस दक्षिण भारत में जीतने की इच्छुक है.
प्रियंका जीतीं तो बनेगा इतिहास
अगर प्रियंका वायनाड से जीत जाती हैं, जिसे कांग्रेस की सुरक्षित सीट माना जाता है, तो यह पहली बार होगा जब नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्य एक ही समय में संसद में होंगे. राहुल गांधी और प्रियंका लोकसभा में होंगे और सोनिया गांधी राज्य सभा में.