जयपुर । राजकीय कार्यों का कुशलतापूवर्क सम्पादन करने के उद्देश्य से चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों एवं संबद्ध अस्पतालों के प्रधानाचार्यों एवं अधीक्षकों के लिए एक दिवसीय वित्तीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इससे चिकित्सा संस्थानों में कुशल वित्तीय प्रबंधन हो सकेगा और बजट के उपयोग एवं अन्य वित्तीय प्रक्रियाओं को गति मिल सकेगी।कार्यशाला में चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव अम्बरीष कुमार ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों एवं उससे संबद्ध अस्पतालों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को सुगम एवं सुलभ बनाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
इस दिशा में जरूरी है सरकार की ओर से समय—समय पर की गई घोषणाएं एवं योजनाओं को क्रियान्वयन शीघ्रता के साथ एवं पूरी कुशलता के साथ हो। उन्होंने कहा कि कई बार यह देखा जाता है कि चिकित्सा संस्थानों में अधिकारियो एवं कार्मिकों को वित्तीय प्रक्रियाओं की समुचित जानकारी नहीं होने के अभाव में कार्यालय, मेंटीनेंस, रखरखाव एवं विभिन्न उपकरणों या अन्य खरीद के लिए धनराशि की मांग करने सहित अन्य कार्यों में विलंब होता है या वित्तीय अनुशासन की पालना नहीं हो पाती है। कई जरूरी कार्यों के लिए धन का अभाव सामने आता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए ओपीडी और आईपीडी आधारित बजट मांग का फार्मूला तैयार किया गया है।शासन सचिव ने कहा कि वित्तीय अनुशासन की पालना करते हुए चिकित्सा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता रखी जाए और उपकरणों को चिकित्सकों की सलाह के आधार पर ही खरीदा जाएगा। उन्होंने बजट की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए फॉर्मेट तैयार करने और इसे लागू करने के निर्देश दिए। शासन सचिव ने सुझाव दिया कि सभी मेडिकल कॉलेज अपनी प्रगति को साझा करने के लिए मासिक न्यूज़लेटर प्रकाशित करें। इसमें मरीजों को दी गई चिकित्सा सेवाओं, ऑपरेशंस, नवाचारों और आगामी योजनाओं का उल्लेख किया जा सकता है।
चिकित्सा संस्थान कुशल वित्तीय प्रबंधन से दें कार्यों को गति
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