भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 8 फरवरी 2024 को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पायलट परियोजना में ‘ऑफलाइन’ लेन-देन शुरूआत करने की घोषणा है। इसका मतलब है कि डिजिटल रुपये (E-Rupee) के यूजर्स लिमिटेड इंटरनेट कनेक्शन वाले क्षेत्रों में भी लेनदेन कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए कहा कि प्रायोगिक परियोजना के तहत इसमें कार्यक्रम आधारित अतिरिक्त उपयोग को शामिल किया जाएगा।
आरबीआई ने दिसंबर, 2022 में रिटेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की प्रायोगिक शुरुआत की थी। इसने दिसंबर, 2023 में एक दिन में 10 लाख लेनदेन का लक्ष्य हासिल कर लिया था। बता दें कि अन्य भुगतान मंच, विशेष रूप से बेहद लोकप्रिय यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) में पहले से ही ऑफलाइन की सुविधा दी जा चुकी है।
सीबीडीसी-रिटेल में ऑफलाइन सुविधा
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खराब या सीमित इंटरनेट संपर्क वाले क्षेत्रों में लेनदेन को सक्षम करने के लिए सीबीडीसी-रिटेल में एक ऑफलाइन सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए पहाड़ी क्षेत्रों, ग्रामीण और शहरी स्थानों पर कई ‘ऑफलाइन’ समाधानों का परीक्षण किया जाएगा। दास ने कहा कि अभी इसके तहत बैंकों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल रुपये वॉलेट का उपयोग करके व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) लेनदेन को सक्षम बनाती है। अब इसे कार्यक्रम आधारित ऑफलाइन रूप से सक्षम करने का काम किया जाएगा।
E-Rupee कहां होता है इस्तेमाल
डिजिटल रुपी के 2 फॉर्म हैं। पहला रिटेल (CBDC-R) और दूसरा होलसेल (CBDC-W) इस्तेमाल के लिए। रिटेल CBDC सभी कंज्यूमर यानी प्राइवेट सेक्टर, नॉन फाइनेंशियल कंज्यूमर्स और बिजनेस के लिए है। जबकि होलसेल CBDC सेलेक्टेड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए। रिटेल CBDC रिटेल ट्रांजेक्शन का ही इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है। डिजिटल रुपी का इस्तेमाल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाता है। रिजर्व बैंक के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटीज की खरीद बिक्री के लिए होता है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि कार्यक्रम आधाारित क्षमता के जरिए सरकारी एजेंसियों जैसे प्रयोगकर्ता निश्चित लाभ के लिए भुगतान सुनिश्चित कर सकेंगी। दास ने कहा कि कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए कारोबारी यात्रा जैसे कार्यक्रम आधारित खर्च में सक्षम हो सकेंगी। अतिरिक्त सुविधाएं जैसे वैधता अवधि या भौगोलिक क्षेत्र जिसके भीतर सीडीबीसी का उपयोग किया जा सकता है।
E-Rupee कैसे होता है इस्तेमाल
E-Rupee को आप अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकते हैं। इसके अलावा यूजर्स इसे बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट भी करा सकेंगे। आप किसी को भी पेमेंट करने के लिए इस डिजिटल रूपी का इस्तेमाल कर सकते हैं। CBDC इलेक्ट्रॉनिक रूप में अकाउंट में दिखेगा और करेंसी नोट से इसे बदला भी जा सकेगा। ठीक उसी तरह जैसे हम ऑनलाइन अपना बैंक अकाउंट बैलेंस चेक करते हैं या मोबाइल वॉलेट चेक करते है, उसी तरह E-Rupee को इस्तेमाल को इस्तेमाल कर सकेंगे। डिजिटल रुपी को UPI से भी जोड़े जाने की तैयारी है।
E-Rupee ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित
डिजिटल रूपी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसका इस्तेमाल उसी तरह से होता है, जैसे क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होता है। इसकी वैल्यू सेफ स्टोर वाले लीगल टेंडर नोट (मौजूदा करेंसी) के बराबर ही होता है। देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत कम हो सकती है। RBI द्वारा रेगुलेट किए जाने से यह सेफ होगा।