Saturday, July 27, 2024
Homeधर्मShardiya Navratri 2023: नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व, जानें सही...

Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व, जानें सही डेट, मुहूर्त, विधि

Shardiya Navratri 2023: 22 अक्टूबर 2023 को आश्विन शुक्ल पक्ष की ‘दुर्गाष्टमी’ है। शारदीय नवरात्रि में यह दिन सर्वाधिक शुभ, विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नौ कन्याओं की पूजा का विधान है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा होती है। इसमें कन्या पूजा करने का भी विधान है। कन्या को मां दुर्गा का प्रतीक मानकर पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में कन्या पूजा करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। उनके आशीर्वाद से कार्य सफल होते हैं। नवरात्रि की पूजा कन्या पूजन के बिना अधूरी मानी जाती है। कन्या पूजन में 2-10 वर्ष की आयु की छोटी कन्याओं को नौ देवियों का रूप मानकर आदर-सत्कार किया जाता है और इनकी पूजा की जाती है। नवरात्रि में कन्या पूजा कब है? कन्या पूजन के क्या फायदे हैं?

नवरात्रि में कन्या पूजा के दिन शुभ योग

परम्परा के अनुसार, कुछ लोग नवरात्रि की अष्टमी को और कुछ लोग नवमी को मां दुर्गा की विशेष पूजा और हवन करने के बाद कन्या पूजन करते हैं। नवरात्रि की महाअष्टमी 22 अक्टूबर और महानवमी तिथि 23 अक्टूबर को है। अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी और नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन तिथियों पर बेहद शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।

22 अक्टूबर को सवार्थ सिद्ध यानी सभी कार्यो के लिए स्वंय सिद्ध मुहूर्त है। साथ इस दिन पराक्रम योग, बुधादित्य योग धृति योग भी है। वहीं 23 अक्टूबर को बुधादित्य योग, पराक्रम योग, शूलयोग के साथ दूसरा सर्वार्थ सिद्ध योग का संयोग बन रहा है।

कन्या पूजन मुहूर्त

अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 2 से 3 बजे तक रहेगा।
नवमी तिथि पर- सुबह 10 बजकर 15 मिनट से 11 बजकर 15 मिनट तक. इसके बाद दोपहर 4 से 6 बजे तक रहेगा।
इस बात का ध्यान रखें कि, कन्या पूजन में दो से नौ वर्ष की आयु की कन्याओं का ही पूजन किया जाए और साथ में एक बटुक भी यानी नौ कन्याओं के साथ एक बटुक रूप बालक अवश्य होना चाहिए। क्योंकि मां की पूजा भैरव पूजा के बिना अधूरी है। इसी प्रकार कन्या पूजन में भी एक बटुक होना अनिवार्य है।

दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या को कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी, छह वर्ष की कन्या को कालिका, सात वर्ष की कन्या को शाम्भवी और आठ वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा गया है।

कन्या पूजन का महत्व और लाभ

नौ कन्याओं को मां के नौ रुप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और माता सिद्धिदात्री मानकर उनकी पूजा करने से दुःख-दरिद्रता का नाश होता है। मां शत्रुओं का क्षय तथा भक्तों की आयु, धन तथा बल में वृद्धि करती हैं।

कन्या पूजन की विधि

सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उनके मस्तक पर रोली चावल से टीका लगाकर, हाथ में मौली बांधें, पुष्प या पुष्प माला समर्पित कर कन्याओं को चुनरी ओढ़ाकर हलवा, पूड़ी, चना और दक्षिणा देकर श्रद्धापूर्वक उनको प्रणाम करें।

त्रिमूर्ति कन्या का पूजन करने से धर्म, अर्थ, काम की पूर्ति होती है. धन-धान्य का आगमन होता है और पुत्र-पौत्र आदि की वृद्धि होती है। जो राजा विद्या, विजय, राज्य और सुख की कामना करता हो उसे सभी कामनाएं प्रदान करने वाला कल्याणी कन्या का पूजन करना चाहिए। शत्रुओं का नाश करने के लिए भक्तिपूर्वक कालिका कन्या का पूजन करना चाहिए। सम्मोहन और दुख-दारिद्रय के नाश तथा संग्राम में विजय के लिए शाम्भवी कन्या की पूजा करनी चाहिए। साधक अपने मनोरथ की सिद्धि के लिए सुभद्रा की सदा पूजा करें और रोग नाश के निमित्त रोहिणी की विधिवत पूजा करें। यदि आस्था है, विश्वास है, देवी दुर्गा के प्रति समर्पण भाव है, निष्ठा है, मन, तन, चिन्तन निर्मल है तो निश्चित समझें कि वांदित कामना पूरी होगी।

नवरात्रि के समय में आप प्रतिपदा से लेकर नवमी ति​थि तक कन्या पूजा कर सकते हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन से लेकर महानवमी तक कन्या पूजन करने का विधान है। हालांकि अधिकतर जगहों पर लोग कन्या पूजा दुर्गा अष्टमी और महानवमी को करते हैं। इस अधार पर इस शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन 22 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी और 23 अक्टूबर को महानवमी के दिन होगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments