Saturday, July 27, 2024
Homeधर्मदुनिया का इकलौता शिवलिंग, जहां सरसों के तेल से होता है अभिषेक

दुनिया का इकलौता शिवलिंग, जहां सरसों के तेल से होता है अभिषेक

Sawan 2023: महादेव की नगरी उज्जैन में स्थित श्री हनुमंतेश्वर महादेव के दर्शन-पूजन जरूर कीजिए, क्योंकि यहां विश्व का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है, जहां पर भगवान की शिवलिंग प्रतिमा पर सरसो और तिल का तेल चढ़ाकर भगवान का अभिषेक पूजन किया जाता है.

गढ़कालिका से कालभैरव मार्ग पर जाने वाले ओखलेश्वर घाट पर श्री हनुमत्केश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर विद्यमान है, जो कि 84 महादेव में 79वें स्थान पर आता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार यह विश्व का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है। जहां सरसों का तेल भगवान को अर्पित कर उनका अभिषेक पूजन किया जाता है, और उन्हें तिल के बने पकवानों का ही भोग लगाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जो कि 24 घंटे चालू रहता है। मंदिर में कहीं भी ताला नहीं लगाया जाता है। वैसे तो श्री हनुमत्केश्वर महादेव की महिमा अत्यंत निराली है, जिनके दर्शन करने मात्र से ही चेतन्यता प्राप्त हो जाती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को मंदिर में विशेष पूजन अर्चन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर में भगवान शिव की अत्यंत चमत्कारी प्रतिमा के साथ ही पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा भी है। इन प्रतिमाओं के साथ ही मंदिर में भगवान श्री गणेश, कार्तिक जी और माता पार्वती के साथ ही नंदी जी भी विराजमान हैं। मंदिर में वैसे तो वर्षभर ही अनेकों उत्सव मनाए जाते हैं, लेकिन हनुमान अष्टमी, हनुमान जयंती, शिव नवरात्रि के नौ दिन और श्रावण मास में भगवान का महारुद्राभिषेक विशेष रूप से किया जाता है।

Mahadev 1

श्री हनुमत्केश्वर मंदिर की पौराणिक कथा

इस मंदिर की कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन बताया जाता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान श्रीराम से मिलने के लिए जब हनुमान जी उपहार स्वरूप एक शिवलिंग साथ ले जा रहे थे, तभी उन्होंने कुछ समय महाकाल वन में रुककर शिवलिंग की पूजा की थी। इस पूजन अर्चन के बाद भगवान सदैव यहीं विराजमान हो गए थे, क्योंकि इन्हें हनुमान जी साथ लेकर आए थे इसीलिए इस मंदिर का नाम श्री हनुमत्केश्वर महादेव पड़ गया। मंदिर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा आज भी विराजमान हैं। इस मंदिर की कथा में यह भी बताया जाता है कि हनुमान जी के बाल्यावस्था में जब वे भगवान सूर्य को गेंद समझकर पकड़ने के लिए गए थे। उसी समय भगवान इंद्र ने उन पर वज्राघात कर दिया था, हनुमान जी को महाकाल वन में विराजमान शिवलिंग का पूजन अर्चन करने से ही चेतन्यता प्राप्त हुई थी और पवन देव ने तभी से इस लिंग का नाम श्री हनुमत्केश्वर महादेव रखा और यही कारण है कि इसी नाम से यह विख्यात भी हुआ।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments