सूर्य का तुला राशि में प्रवेश करने को 'तुला संक्रांति' कहते हैं. इस संक्रांति को खास तौर पर उड़ीसा और कर्नाटक में मनाया जाता है. इस दिन का काफी महत्व है. आज यानी 17 अक्टूबर को सूर्य देव तुला राशि (Tula Rashi) में प्रवेश करन जा रहे हैं. हिंदू धर्म में तुला संक्रांति (Tula Sankranti 2022) का खास महत्व है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है. मान्यता है किस दिन दान करने के कई गुना अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.
तुला संक्रांति पर पुण्य काल मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार तुला संक्रांति 17 अक्टूबर को मनाई जा रही है. इस दिन पुण्य काल का समय दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 50 मिनट तक है. वहीं, महापुण्य काल का समय दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से लेकर 5 बजकर 50 मिनट तक है. मान्यता है कि पुण्य काल में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है.
तुला संक्रांति का महत्व
तुला संक्रांति का पर्व अकाल तथा सूखे को कम करने के लिए मनाया जाता है, ताकि फसल अच्छी हो और किसानों को अधिक से अधिक कमाई करने का लाभ प्राप्त हो. कर्नाटक में नारियल को एक रेशम के कपड़े से ढका जाता है और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व मालाओं से सजाया जाता है. उड़ीसा में एक और अनुष्ठान चावल, गेहूं और दालों की उपज को मापना है ताकि कोई कमी ना हो.
तुला संक्रांति पूजा विधि
इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठने का विशेष महत्व है. इसके बाद तांबे के लोटे में जल लें, उसमें फूल, चावल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें. इस बात का ध्यान रखें कि सूर्य देव को जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्रों का जाप करते रहें. इसके साथ ही, सूर्य देव से शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान प्राप्त करने की प्रार्थना करें.
सूर्य मंत्र – ओम् खखोल्काय स्वाहा, ओम् सूर्याय नम: