Maihar Dham: विंध्य पर्वत श्रृंखला में से एक त्रिकूट पर्वत की चोटी पर विराजमान मां शारदा का मैहर धाम विश्व प्रसिद्ध है। यहां हर वर्ष करोड़ों की संख्या में श्रद्धालू मां शारदा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं, ममतामयी मां सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं। मां शारदा का यह मंदिर रहस्यों से भरा है।
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि (Navratri 2023) का खास महत्व है। मां दुर्गा की उपासना के लिए साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है, दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रत्यक्ष (चैत्र और शारदीय) नवरात्रि (Navratri 2023) होती है। हिंदू धर्म में नौ दिन के नवरात्रों को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इसमें नौ दिनों तक व्रत रखने के साथ ही माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। साल के अंत में आने वाले शारदीय नवरात्र इस बार 15 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे हैं और इनका समापन 24 अक्टूबर को होगा।
मैहर का इतिहास
विश्व प्रसिद्ध मां शारदा देवी का मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर में है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, जो विंध्य पर्वत श्रेणी के मध्य त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि मां शारदा की प्रथम पूजा आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। इसका उल्लेख पुराणों में भी आया है। यहां आने वाले भक्त मां शारदा देवी के दर्शन के लिए 1063 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचते हैं। हालांकि, रोप-वे की सुविधा भी उपलब्ध है।मान्यता है कि मां शारदा देवी ने आल्हा की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था।आल्हा द्वारा आज भी हर दिन सुबह मां की प्रथम पूजा करने के अलग-अलग प्रमाण मंदिर में देखने को मिलते हैं। मां शारदा देवी परिक्षेत्र में आल्हा का मंदिर भी बना है, जहां उनका अखाड़ा, उद्यान, तालाब मौजूद हैं।
इन वस्तुओं के चढ़ावे से होती हैं प्रसन्न
आप भी शारदीय नवरात्रि में मां शारदा के पावन धाम मैहर की यात्रा पर जा रहे हैं तो मां को चढ़ावे के लिए पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल का चढ़ावा लाना न भूलें। मंदिर के प्रधान ने बताया कि मां करुणामयी हैं। मां शारदा भक्तों की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ण करती हैं। माई के चरणों में पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल का चढ़ावा सब से उत्तम है, माता इससे प्रसन्न होती हैं।
नारियल और सुपारी
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, सुपारी को भगवान गणेश के प्रतीक के तौर पर माना जाता है और नारियल को माता लक्ष्मी के प्रतीक स्वरूप में माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा में नारियल और सुपारी रखने से सभी कार्य बिना किसी बाधा के संपन्न हो जाते हैं।
पान
पान का जिक्र ‘स्कंद पुराण’ में किया गया है, जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया थाहैं। इसके पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास माना जाता है, इसलिए पूजा में पान के पत्ते का विधि-विधान से प्रयोग किया जाता है।
ध्वज
किसी भी देवी देवता को ध्वज चढ़ाने का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं ध्वज विजय का प्रतीक होता है और भगवान का ध्वज में अंश होता है। इसलिए नवरात्रि में देवी को ध्वज अर्पित करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और बिगड़े काम पूर्ण होते हैं। पुजारी ने बताया कि अगर आप माता शारदा को इन चार वस्तुओं का चढ़ावा चढ़ाते हैं तो आप की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी और आप के घर परिवार में सुख समृद्धि का वास होगा।
Disclaimer: यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. pradeshlive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें