बिगबॉस फेम और कई वेब सीरीज में काम करने वाली अभिनेत्री हिना खान स्तन कैंसर से पीड़ित हैं। शुक्रवार को अभिनेत्री ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर इसकी जानकारी साझा की है। हिना खान ने पुष्टि की है कि उन्हें स्टेज थ्री ब्रेस्ट कैंसर है। सोशल मीडिया पर पोस्ट में उन्होंने लिखा, मैं सभी लोगों के साथ कुछ महत्वपूर्ण समाचार साझा करना चाहती हूं। मुझे स्टेज थ्री ब्रेस्ट कैंसर का पता चला है।
इस चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद, मैं सभी को आश्वस्त करना चाहती हूं कि मैं ठीक हूं। मैं मजबूत, दृढ़ निश्चयी हूं और इस बीमारी पर काबू पाने के लिए प्रयास भी कर रही हूं। मेरा इलाज पहले ही शुरू हो चुका है। मैं इससे और भी मजबूत होकर उभरने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हूं।
गौरतलब है कि स्तन कैंसर, महिलाओं में रिपोर्ट किए जाने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है। भारत में स्तन कैंसर सबसे आम कैंसर है, जो महिलाओं में होने वाले सभी प्रकार के कैंसर का लगभग 28.2% है। हर साल दुनियाभर में इस कैंसर के कारण लाखों महिलाओं की मौत भी हो जाती है। आइए ब्रेस्ट कैंसर और इससे बचाव के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए, इस बारे में जानते हैं।
क्या है स्टेज थ्री का ब्रेस्ट कैंसर?
ब्रेस्ट कैंसर, स्तन कोशिकाओं के अनियंत्रित रूप से बढ़ने की स्थिति है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी महिलाओं को नियमित रूप से स्तनों की जांच करते रहना चाहिए। अगर स्तन में किसी प्रकार की गांठ या कुछ असामान्य नजर आता है तो समय रहते डॉक्टर से इस बारे में सलाह जरूर ले लें।
हिना खान ने अपनी पोस्ट में बताया कि उन्हें स्टेज थ्री का ब्रेस्ट कैंसर है। ब्रेस्ट कैंसर के तीसरे चरण में ट्यूमर बड़ा हो जाता है (5 सेमी या इससे अधिक)। स्तन के आस-पास के ऊतकों (स्तन के ऊपर की त्वचा या उसके नीचे की मांसपेशी) में बढ़ोतरी को अलार्मिंग माना जाता है। समय रहते कैंसर का निदान हो जाने से उपचार होना और जान बचाना आसान हो जाता है।
स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों की क्या है वजह?
अध्ययनकर्ता बताते हैं, दुनियाभर में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। स्तन कैंसर के लिए शारीरिक निष्क्रियता और मोटापा जैसे कुछ जोखिम कारकों को प्रमुख माना जा रहा है।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की रिपोर्ट के मुताबिक स्तन कैंसर के विकास में हार्मोनल परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है, विशेषतौर पर रजोनिवृत्ति के समय इसका खतरा सबसे अधिक देखा जाता रहा है। हालांकि पिछले एक दशक में कम उम्र में भी इस कैंसर का निदान किया जा रहा है।