पर्याप्त तरल पदार्थ : व्रत के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखने की जरूरत होती है। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के साथ, अन्य तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी का जूस या शिकंजी और नारियल पानी पी सकते हैं। फलों के रस का सेवन करें लेकिन बिना छाने यानी फलों के रस में रेशे के साथ ही खाएं। फलों का रस के साथ साथ फाइबर भी मिलेगा जो कि भोजन को पचाने के लिए बहुत जरूरी है। तरल पदार्थ से शरीर को जरूरी विटामिन और खनिज मिलते हैं। फाइबर युक्त भोजन व्रत के दरमियान ग्रहण करने से कब्ज की समस्या हो सकती है।
खानपान की सलाह : अधिक वसा युक्त दूध लेने के बजाय डबल टोंड मिल्क लें। इसमें वसा कम होती है और पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। इसी तरह कम वसा युक्त दही, लस्सी और छाछ ले सकते हैं। तेल की बहुत कम मात्रा में भुनी हुई मूंगफली, कुट्टू के आटे की रोटियां ले सकते हैं। कम घी में बने हुए फलाहारी आलू, साबूदाना खिचड़ी या टिक्की ले सकते हैं। तेल से बनी टिक्कियां खाने से बचें। आलू के बजाए लौकी की सब्जी और हलवे का सेवन कर सकते हैं। सबसे जरूरी है व्रत के दौरान घर का बना शुद्ध भोजन ही खाएं।
फल सब्जियों का सेवन : व्रत में फल और सब्जियों के सलाद का सेवन कर सकते हैं। एक या अधिक तरह के मौसमी फल, जैसे कि सेब, अनार, पपीता और केला पर्याप्त मात्रा में ले सकते हैं। गैर मौसमी फल, जैसे तरबूज, खरबूजा और संतरे का सेवन करने से बचें। सब्जियों में खीरा, टमाटर, चुकंदर, हरा धनिया और शकरकंद आदि पर सेंधा नमक और काली मिर्च पाउडर डालकर खा सकते हैं।
थोड़ा- थोड़ा खाएं : व्रत के दौरान कुछ लोग पूरा दिन फलाहार करते हैं, तो वहीं कई लोग उपवास में दिनभर कुछ नहीं खाते। लेकिन जब खाते हैं, तो भूख से अधिक खा लेते हैं। जैसे कि एक प्लेट भरकर फलाहारी खाना, दूध और अन्य खाद्य सामग्री स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है और वजन पर भी असर डालता है। एक साथ बहुत सारा खाने से बेहतर है कि दिनभर में तीन चार बार थोड़ा थोड़ा करके खाएं।
शरीर को आराम दें : नवरात्रि उपवास के दौरान खानपान में बदलाव होता है। इस कारण दिमाग और शरीर पर असर पड़ता है। इस स्थिति में लोग आलस और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है। इसलिए उपवास के दौरान शरीर को थकावट से बचाएं और समय समय पर कुछ देर का आराम दें। रात में जल्दी सोएं व भरपूर नींद लें।