New Year 2024: कैलेंडर का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। छोटे-बड़े सभी कामों के लिए हम सबसे पहले कैलेंडर देखते हैं। अपने दिन की शुरुआत करने से लेकर महीने और साल की प्लानिंग करने तक के लिए कैलेंडर की जरूरत होती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में नए साल का दिन वर्ष का पहला दिन होता है, 1 जनवरी जबकि अधिकांश सौर कैलेंडर (जैसे ग्रेगोरियन और जूलियन) नियमित रूप से उत्तरी शीतकालीन संक्रांति पर या उसके निकट वर्ष की शुरुआत करते हैं, चंद्र-सौर या चंद्र कैलेंडर का पालन करने वाली संस्कृतियां अपने चंद्र नव वर्ष को सौर वर्ष के सापेक्ष कम निश्चित बिंदुओं पर मनाती हैं । कभी आपने सोचा है कि कैलेंडर के शुरुआती महीने जनवरी का नाम कैसे पड़ा? आइए आज हम बताते हैं कि साल के पहले महीने का नाम जनवरी कैसे पड़ा।
जेनस को लैटिन भाषा में जेनअरिस कहा जाता
जूलियन कैलेंडर के तहत पूर्व-ईसाई रोम में , यह दिन प्रवेश द्वार और शुरुआत के देवता जानूस को समर्पित था , जिनके लिए जनवरी का नाम भी रखा गया है। रोमन काल से लेकर 18वीं शताब्दी के मध्य तक, नया साल विभिन्न चरणों में और ईसाई यूरोप के विभिन्न हिस्सों में 25 दिसंबर, 1 मार्च, 25 मार्च और ईस्टर के चल पर्व पर मनाया जाता था। शुरुआती समय में सर्दी के पहले महीने को जेनस कहते थे, लेकिन बाद में जेनस को जनुअरी और हिंदी भाषा में जनवरी कहा जाने लगा।
कैलेंडर का इतिहास
आज मौजूदा समय में हमारे घर-ऑफिस में जो कैलेंडर टंगा हुआ है, उसका नाम है ग्रेगोरियन कैलेंडर है। जिस 1 जनवरी को साल का पहला दिन और नए साल का आगाज मानते हैं, दरअसल वह ग्रिगोरियन कैलेंडर का नया साल है। इसके अलावा भी कई सारे और कैलेंडर भी चलन में हैं, लेकिन पूरी दुनिया में ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही नया साल मनाया जाता है। बता दें कि ग्रिगोरियन कैलेंडर की शुरुआत सन 1582 में हुई थी। हालांकि, इससे पहले पूरी दुनिया में रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था, जिस कैलेंडर के मुताबिक साल में 10 महीने होते थे।इसके अलावा रूसी कैलेंडर में क्रिसमस एक निश्चित दिन नहीं आता था, जिसके बाद क्रिसमस को एक दिन तय करने के लिए 15 अक्टूबर 1582 को अमेरिका के एलॉयसिस लिलिअस ने ग्रिगोरियन कैलेंडर शुरू किया था। इस कैलेंडर के हिसाब से जनवरी साल का पहला महीना है और साल का अंत दिसंबर में क्रिसमस के गुजरने के बाद होता है। ग्रिगोरियन कैलेंडर आने के बाद से पूरी दुनिया क्रिसमस साल के आखिरी महीने दिसंबर में 25 तारीख को मनाती है।
जानिए सभी महीनों के नाम
- साल के दूसरे महीने फरवरी का नाम लैटिन के ‘फैबरा’ यानि के ‘शुद्धि के देवता’ के नाम पर रखा गया है। कुछ लोगों का मानना है कि फरवरी महीने का नाम रोम की देवी ‘फेब्रुएरिया’ के नाम पर रखा गया था।
- साल के तीसरे महीने मार्च का नाम रोमन देवता ‘मार्स’ के नाम पर रखा गया। वहीं, रोमन में वर्ष की शुरुआत भी मार्च महीने से होती है।
- अप्रैल महीने का नाम लैटिन शब्द ‘ऐपेरायर’ से बना है। इसका अर्थ ‘कलियों का खिलना’ होता है। रोम में इस महीने में बसंत मौसम की शुरुआत भी होती है, जिसमें फूल और कलियां खिलती हैं।
- साल के चौथे महीने मई के नाम को लेकर कहा जाता है कि रोमन के देवता ‘मरकरी’ की माता ‘माइया’ के नाम पर मई महीने का नाम पड़ा था।
- जून महीने को लेकर कहा जाता है कि रोम के सबसे बड़े देवता ‘जीयस’ की पत्नी का नाम ‘जूनो’ था, और रोम में कहानी प्रचलित है कि जूनो से ही ‘जून’ शब्द को लिया गया, जिससे जून महीने का नाम पड़ा।
- जुलाई महीने का नाम रोमन साम्राज्य के शासक ‘जूलियस सीजर’ के नाम पर रखा गया था. बताया जाता है कि जूलियस का जन्म और मृत्यु इसी महीने में हुई थी।
- अगस्त महीने का नाम ‘सैंट ऑगस्ट सीजर’ के नाम पर रखा गया था।
- सितंबर का नाम लैटिन शब्द ‘सेप्टेम’ से बना है. बता दें कि रोम में सितंबर को सप्टेम्बर कहा जाता है।
- साल के 10वें महीने अक्टूबर का नाम लैटिन के ‘आक्टो’ शब्द पर रखा गया है।
- नवंबर का नाम लैटिन के ‘नवम’ शब्द से लिया गया है।
- साल के आखिरी महीने दिसंबर का नाम लैटिन के ‘डेसम’ शब्द पर रखा गया था।