Water leakage: बारिश के मौसम में घर की छतों से पानी टपकना शुरू हो जाता है। इस समस्या से कई लोग परेशान रहते है। घरों की दीवारों पर पानी के कारण सीलन लग जाती है। कुछ लोग तो टपकती छत से परेशान रहते हैं। लाख कोशिशों के बाद भी पानी टपकना बंद नहीं होता। गांव, छोटे शहरों के साथ ही अब ये समस्या मेट्रो सिटी में बने घरों में भी देखने को मिलती है।
पानी के कारण घर की दीवारों पर सीलन भी लगनी शुरू हो जाती है। ये समस्या सही सीमेंट या वाटरप्रूफ सीमेंट ना लगे होने से भी आती है। हालांकि, ये काफी महंगा होता है। परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप बारिश में होने वाली इस समस्या से परेशान हैं तो छत टपकने की समस्या को बेहद आसान उपायों से रोक सकते हैं।
छत से टपकते पानी को रोकने के उपाय
छत से पानी टपकने पर यह पता लगाना बहुत जरूरी होता है, कि कितना एरिया डैमेज है। यदि छत का बड़ा हिस्सा डैमेज है, तो इसे ठीक कराने के लिए आपको एक्सपर्ट की जरूरत होती है। वहीं, छोटी दरारों को आप खुद भी भर सकते हैं।
पेट्रोल और थर्मोकोल : पेट्रोल और थर्मोकोल का यूज कर सकते हैं। थर्मोकोल को बिल्कुल छोटा-छोटा तोड़कर चूरा सा बना लें। इसे थोड़े से पेट्रोल में डाल दें। जब आप थर्मोकोल को पेट्रोल में डालेंगे तो ये घुल जाएंगे और पेस्ट की तरह बन जाएगा। इस पेस्ट को जहां-जहां दीवारों पर दरार है, वहां भर दें। तीन से चार घंटे इसे ऐसे ही रहने दें। ये काफी मजबूत होता है। जब ये सूख जाएगा तो छत और बाकी दीवारों में हुए दरारों से पानी नहीं निकलेगा।
दीवार में होने वाले सभी लीकेज को ठीक करने के लिए प्रत्येक 4 से 5 साल में वॉटरप्रूफ कोटिंग से दोबारा पेंट कराएं। इससे बारिश के मौसम में दीवारें खराब नहीं होंगी और ना ही टपकेंगी।
दरारों और छिद्रों की सावधानीपूर्वक जांचें
दीवारें नम और गीली हैं, तो दीवारों में दरारें और छेद की सावधानीपूर्वक जांच करें। आम तौर पर, दरारें दरवाजे और खिड़कियों के पास होती हैं, जो नमी बरकरार रखती हैं और दीवार को अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। दरारों पर क्रैक-फिल पुट्टी लगाएं। सभी ढीले प्लास्टर को हटा दें। चाहते हैं कि पानी ना टपके तो दीवारों को वाटरप्रूफ कोटिंग से दोबारा रंगवाएं।