Indian Railway: भारतीय रेलवे जींद-सोनीपत मार्ग पर अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन का परीक्षण करेगी। पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं द्वारा संचालित, यह 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखता है, 2025 तक 35 और ट्रेनों की योजना बनाई
भारतीय रेलवे जल्द ही अपने जींद-सोनीपत मार्ग पर अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन का परीक्षण करने जा रही है। यह ट्रेन पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं द्वारा संचालित होगी, जिससे यह एक महत्वपूर्ण कदम है भारतीय रेलवे के प्रदूषण मुक्त भविष्य की दिशा में। हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाएं न केवल शुद्ध ऊर्जा का स्रोत प्रदान करती हैं, बल्कि इनसे उत्पन्न होने वाला उत्सर्जन भी केवल पानी की भाप होता है, जो इसे जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट को कम करने के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है।
इस हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन का परीक्षण भारतीय रेलवे की कोशिशों का हिस्सा है, जो 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। यह ट्रेन न केवल रेलवे नेटवर्क में उत्सर्जन को कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है, बल्कि यह रेलवे यातायात के लिए एक स्थिर और टिकाऊ भविष्य का भी संकेत है। हाइड्रोजन आधारित ट्रेनें उच्च गति से यात्रा कर सकती हैं और इनकी दक्षता भी पारंपरिक डीजल इंजनों से बेहतर होती है।
भारतीय रेलवे की योजना 2025 तक 35 और हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनों को लाने की है। इसके अलावा, भारतीय रेलवे हाइड्रोजन तकनीक के साथ-साथ अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का भी उपयोग करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि रेलवे नेटवर्क को पूरी तरह से ऊर्जा दक्ष और पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ बनाया जा सके। यह पहल भारत के जलवायु लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है और रेलवे क्षेत्र में नवाचार के एक नए युग की शुरुआत को दर्शाती है।