Highway : हाइवे पर सफर करने वालों के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। देश के केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश में ऑन डिसिप्लिन कानून लाने के बारे में विचार किया जा रहा जिसे जल्द लागू किया जा सकता है। गडकरी ने कहा कि जिन जगहों पर सड़कों की हालत अच्छी है, वहां पर पर स्पीड लिमिट को बढ़ाया जा सकता है। भारत सरकार लगातार देश में सड़क बुनियादी ढांचे में सुधार और कड़े सुरक्षा व उत्सर्जन मानदंडों पर जोर देने के लिए काफी तेजी से कार्य कर रही है। इसी क्रम में एक बढी समस्या है की सड़क हादसों का आंकड़ा साल दर साल लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसकी मुख्य वजहों में एक प्रमुख कारण है चलती गाड़ी में ड्राइवर की झपकी लगने या ध्यान भटकना और इसके कारण दुर्घटना होने के मामलों की संख्या भी काफी ज्यादा है। लेकिन, एक तकनीक है Drowsiness Alert Alarm इस तकनीक की मदद से ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।
स्पीड लिमिट बढ़ाने के संकेत
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘दुनिया भर में वाहन एक ही लेन में चलते हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है।’ उन्होंने कहा कि मैंने अपनी टीम को एक ऐसी पालिसी पर काम करने को कहा है, जिससे देश में कमर्शियल वाहनों को एक लेन में चलने के लिए अनिवार्य किया जाए। इसके साथ साथ जहां चौराहे मौजूद नहीं है. वहां वाहनों की अधिकतम स्पीड को 140 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने कुछ राज्यों के मंत्रियों का साथ बातचीत की है।
वाहनों में 6 एयर बैग होंगे अनिवार्य
विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक की मदद से चलने वाली इस योजना में उन राज्यों को सबसे अधिक सहायता दी जाएगी जहां दुर्घटनाएं और मौत होने की दर सबसे अधिक है। वाहनों को सुरक्षित बनाने की दिशा में भी इस साल दो अहम कदम उठाए जाएंगे। एक तो एम-वन श्रेणी के सभी वाहनों में एक अप्रैल से सभी फ्रंट फेसिंग सीटों के लिए थ्री प्वाइंट सीट बेल्ट अनिवार्य होगी और दूसरे, वाहनों में छह एयर बैग यानी ड्राइवर और आगे की सीट पर पैसेंजर के अतिरिक्त चार अन्य एक अक्टूबर से अनिवार्य होंगे। पहले इसे पिछले साल एक अक्टूबर से ही लागू होना था, लेकिन वाहन निर्माता कंपनियों ने इसके लिए और अधिक समय की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें बीस माह का समय दे दिया गया था।
सभी कारों के लिए अनिवार्य होगा Drowsiness Alert Alarm!
ये तकनीक एक सेंसर-बेस्ड डिवाइस के जरिए काम करेगी, जिसे ड्राइवर के ठीक सामने इस तरह रखा जाएगा, जिससे उसका कैमरा ड्राइविंग के समय ड्राइवर के चेहरे के भावों को कैप्चर कर सकेगा। डिवाइस को ड्राइवर की सीट से भी जोड़ा जाएगा। जैसे ही ड्राइवर पलक झपकना बंद करेगा या डिवाइस को आंख की कोई हलचल नहीं दिखाई देगी तो यह तेज बीप बजाएगा और साथ ही ड्राइवर को जगाने के लिए ड्राइवर सीट को वाइब्रेट करना शुरू कर देगा। यह सब 3 से 4 सेकंड के अंदर ही हो जाएगा और ड्राइवर नींद से बाहर आ जाएगा। फिलहाल, यह तकनीक कुछ महंगी गाड़ियो में ही दी जाती है। सभी कारों में यह फीचर आने के बाद यातायात को ज्यादा सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी। सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है। सुरक्षित सफर के लिए एंटी स्लीप डिवाइस लगाने की योजना पर काम चल रहा है।हालांकि, इससे कार कंपनियों के लिए निर्माण की लागत थोड़ी बढ़ जाएगी।
स्टार ग्रेडिंग प्रणाली होगी शुरू
वाहनों के लिए स्टार ग्रेडिंग की प्रणाली भी शुरू होगी। गाड़ी कितनी सुरक्षित है, इसके आधार पर उसकी रेटिंग तय की जाएगी। इससे वाहन निर्माता कंपनियों के बीच सेफ्टी फीचर्स की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू होगी। अगर वाहनों की ही बात करें तो एक अप्रैल से 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहनों, जिसमें स्थानीय निकाय भी शामिल हैं, की अनिवार्य रूप से स्क्रैपिंग की जाएगी। इसके दायरे में राज्यों में परिवहन विभाग की बसें भी आएंगी। हालांकि निजी और अन्य व्यावसायिक वाहनों के लिए स्क्रैपिंग का विकल्प ऐच्छिक रहेगा।
वाहनों की स्क्रैपिंग नीति
यह माना गया है कि सड़क हादसों के लिए अपनी आयु पूरी कर चुके वाहन भी जिम्मेदार होते हैं। वाहनों की स्क्रैपिंग नीति दो साल पहले सामने आई थी, जिस पर इस साल से सही तरीके से अमल होगा। सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने के क्रम में मंत्रालय कई उपाय करने जा रहा है जिसमें अमिताभ बच्चन समेत कई सेलिब्रिटी का सहयोग लिया जाएगा।
पूरे देश में लागू होगा e-DAR
सड़क दुर्घटनाओं का डाटा एकत्र करने, खास तौर पर रिपोर्टिंग, मैनेजमेंट और एनालिसिस का केंद्रीय ढांचा बनाने के लिए इलेक्ट्रानिक डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट (e-DAR) को पूरे देश में लागू किया जाएगा। इसी तरह हादसों के बाद पीडि़तों को मदद देने के लिए नीति आयोग चिकित्सा और बीमा से जुड़ी तमाम योजनाओं को एकीकृत रूप से लागू करने के लिए एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो इस साल अमल में आ सकता है। इसके तहत मार्ग दुर्घटनाओं के सभी पीडि़तों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जानी है।
Electric Highway और ई-वाहनों को बढ़ावा देने की जरूरत
केंद्र सरकार राजस्थान में जयपुर जिले के दौसा में देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की तैयारी कर रही है। देश के केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने डोसा में आयोजित एक कार्यक्रम में यह घोषणा की। यह हाईवे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होगा और इसमें सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे। देश में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सरकार लंबे समय से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. वहीं, सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी काफी ध्यान दे रही है इलेक्ट्रिक बस, कार, बाइक और स्कूटी के बाद अब सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की पहल की है। जिसका निर्माण कार्य शुरू हो गया है। तो आइए हम आपको बताते हैं कि इलेक्ट्रिक हाईवे क्या है और कहां बन रहा है? आपको बता दें कि नितिन गडकरी भी भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री और मोबिलिटी को विश्वस्तरीय बनाने के लिए बदलाव लाने की कोशिश में सबसे आगे रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि फ्लेक्स फ्यूल और ई-वाहनों को बढ़ावा देने की जरूरत है।
टोल वसुली : Toll प्लाजा को हटाकर नई तकनीकी!
हाइवे पर सफर करने वालों को टोल टैक्स देना पड़ता है, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जल्द ही सरकार टोल प्लाजा को हटा सकती है। ऐसा नहीं कि आने वाले समय में टोल नहीं लिया जाएगा। सरकार इस बात की तैयारी कर रही है कि हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर टोल प्लाजा को हटाया जाए और इनकी जगह पर कैमरे लगाए जाएं। ऐसा होने के बाद टोल प्लाजा पर कैश पेमेंट करने की जरूरत ही खत्म हो जाएगी। हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर चलने वाले वाहनों से टोल टैक्स को ऑटोमैटिक तरीके से वसूला जाएगा। सरकार की ओर से नई व्यवस्था शुरू होने के बाद कैमरे के जरिए टोल लेने पर ना तो प्लाजा पर लाइन लगेगी और ना ही टोल वसूलने में समय लगेगा। इसके लिए गाड़ियों में हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट यानी HSRP लगेंगी। इस तरह के नंबर प्लेट्स से गाड़ी से जुड़ी सभी जानकारी मिल जाती है। सरकार इन विशेष नंबर प्लेट को लगाने की शुरुआत 2019 में ही कर चुकी है।
गडकरी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार अब दो विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला उपग्रह आधारित टोल प्रणाली जहां एक कार में जीपीएस होगा और टोल सीधे यात्री के बैंक खाते से लिया जाएगा और दूसरा विकल्प नंबर प्लेट पहचान के जरिए शुल्क लेना है। उन्होंने कहा, ’हम उपग्रह का इस्तेमाल करते समय फास्टैग की जगह जीपीएस लगाने की प्रक्रिया में हैं। वहीं देश में नंबर प्लेट पर भी अच्छी तकनीक उपलब्ध है।’
जितनी दूरी तय करेंगे उतना ही चुकाना होगा पैसा
टोल नाकों पर जल्द ही फिक्स चार्ज सिस्टम से राहत मिलने वाली है, जिससे टोल हाइवे का इस्तेमाल जल्द ही सस्ता हो जाएगा. दरअसल हाइवे पर छोटी दूरी हो या लंबी दूरी… टोल नाके पर सबको बराबर रकम चुकानी पड़ती है. यानी जो लोग 10 किलोमीटर का सफर करते हैं और जो 50 किलोमीटर का सफर करते हुए, दोनों को ही बराबर रकम चुकानी पड़ती है. अभी अगर कोई व्यक्ति टोल रोड पर 10 किलोमीटर की दूरी भी तय करता है तो उसे 75 किलोमीटर का शुल्क देना पड़ता है ऐसे में कम दूरी का सफर करने वाले लोग अपने आपको ठगा हुआ महसूस करते हैं.