OMG! : एक महिला ने 10 मर्दों से शादी की। उनके साथ संबंध बनाए। अब जाकर उसने सभी पर बलात्कार का आरोप लगाया है। इस केस की सुनवाई कर रहे कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि इस केस ने तो हनी ट्रैप को भी पीछे छोड़ दिया है। हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक को निर्देश दिया कि वे संदिग्ध महिला दीपिका की जानकारी राज्य भर के पुलिस थानों में डिजिटल रूप से प्रसारित करें और उन्हें उसकी शिकायतों से सावधान रहने के लिए कहें।
सुनवाई के दौर जज ने कहा कि यह तो इस केस ने तो हनी ट्रैप को भी पीछे छोड़ दिया है। कोर्ट ने कहा, “इरादा स्पष्ट है। यह केवल उन लोगों को परेशान करने के लिए है जिनका शिकायतकर्ता से कोई लेना-देना नहीं था। शिकायतकर्ता की हरकतों और चालों का शिकार 10 से ज़्यादा लोग हुए हैं, जो हनी-ट्रैप की हद तक हैं। मैं शिकायतकर्ता के कृत्यों को एक दशक पुरानी धोखाधड़ी की गाथा मानता हूं। यह सिर्फ एक के खिलाफ नहीं, बल्कि कई लोगों के खिलाफ है।
कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता लगातार झूठ बोल रही है और बिना किसी ठोस सबूत के केस दर्ज करवा रही है। वह हर सुनवाई में लगातार अनुपस्थित रही है। जज ने कहा कि इस अदालत के समक्ष भी शिकायतकर्ता एक बार पेश हुई है और कई मौकों पर पेश नहीं हुई है। जज ने कहा, जिस पुलिस थाने के समक्ष शिकायतकर्ता केस दर्ज करवाना चाहेगी उसे उचित प्रारंभिक जांच किए बिना केस दर्ज नहीं करना चाहिए। इस ट्रेंड को रोकना जरूरी है।
महिला ने 10 शिकायतें दीं
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा कि 2011 से दीपिका ने बलात्कार, क्रूरता, धमकी, धोखाधड़ी आदि का आरोप लगाते हुए अलग-अलग पतियों/साथियों के खिलाफ 10 शिकायतें दर्ज कराई हैं. उन्होंने कहा कि अधिकांश शिकायतें बेंगलुरु के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज की गईं और चिक्काबल्लापुर और मुंबई में एक-एक मामला दर्ज किया गय. जज ने बताया कि तीन मामलों में ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया था और पीड़ितों ने दीपिका के खिलाफ जबरन वसूली और अन्य अपराधों का आरोप लगाते हुए पांच शिकायतें दर्ज की थीं.
कोर्ट ने कहा, बरी करने के सभी आदेशों में एक समान ट्रेंड है. बार-बार नोटिस के बावजूद शिकायतकर्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं होती हैं. शिकायतकर्ता ने बिना किसी कारण के कई पुरुषों और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज कराए हैं. यहां तक कि आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप के आरोप में उन आरोपियों को हिरासत में लिया गया. हिरासत में लंबे समय तक रहने के बाद जमानत मिली.