नई दिल्ली । ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के तहत भारत अपने औषधीय उत्पादों के लिए व्यापक बाजार पहुंच हासिल करने की कोशिश कर रहा है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि प्रस्तावित समझौते की सबसे अच्छी बात यह है कि दोनों ही पक्षों ने अपनी संवेदनाओं एवं आपत्तिजनक बिंदुओं से अवगत करा दिया है। जीवनरक्षक दवाओं के सस्ते संस्करण (जेनेरिक) का विनिर्माण ऐसा बिंदु है, जिस पर कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता है।
भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ लागू एफटीए में अपनी दवा कंपनियों के लिए सुगम बाजार पहुंच हासिल की है। इस समझौते के तहत भारतीय औषधि उत्पादों एवं चिकित्सकीय उत्पादों को 90 दिन के भीतर नियामकीय अनुमति मिलेगी। अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित बाजारों में बिक्री के लिए मंजूरी हासिल कर चुके औषधि उत्पादों को यूएई में भी आसान पहुंच मिलने का प्रावधान है।
इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के व्यापार सौदे में भी त्वरित अनुमति और विनिर्माण संयंत्रों की गुणवत्ता परीक्षण के आकलन का प्रावधान होगा। भारत, ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में भी अपनी दवा कंपनियों के लिए सुगम पहुंच हासिल करने के प्रयास में है। अधिकारी ने कहा हम भारत-ब्रिटेन समझौते से फार्मा क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक नतीजे पर नजरें टिकाए हुए हैं। ब्रिटेन की औषधि एवं स्वास्थ्य उत्पादन नियामक एजेंसी के साथ नियामकीय सहयोग को लेकर चर्चा जारी है।
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत इस साल जनवरी में शुरू हुई थी। इसके दिवाली तक पूरी हो जाने की समयसीमा तय की गई थी, लेकिन ब्रिटेन में पैदा हुई राजनीतिक अनिश्चितता ने इसे कुछ समय के लिए टाल दिया है। इसमें उत्पाद, सेवा, निवेश एवं बौद्धिक संपदा समेत 26 अध्याय हैं। अधिकारी ने कहा कि दोनों ही देश अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए इस समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से और आसान होगी भारतीय दवाओं की ब्रिटिश बाजारों में पहुंच
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