नई दिल्ली। लूज फास्टैग रखने वाले यूजर्स को अब ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। जानबूझकर फास्टैग को गाड़ी की विंडस्क्रीन पर न लगाने वाले हाईवे यूजर्स को लूज फास्टैग या टैग-इन-हैंड कहा जाता है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अनुसार, इससे ई-टोल कलेक्शन सिस्टम में गड़बड़ी आती है और बाकी यात्रियों को परेशानी होती है। गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने फास्टैग के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ नियम लागू किया है। अब अगर कोई ड्राइवर फास्टैग को गाड़ी की विंडशील्ड पर नहीं चिपकाता और उसे हाथ में रखकर टोल प्लाजा पर दिखाता है, तो उसका फास्टैग ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
दरअसल, कुछ ड्राइवर जानबूझकर फास्टैग को विंडस्क्रीन पर नहीं चिपकाते। वे इसे हाथ से दिखाकर स्कैन कराते हैं। इससे ज्यादा समय लगता है और टोल प्लाजा पर जाम लगता है। इससे दूसरे यात्रियों को भी परेशानी होती है। इसके अलावा कुछ ड्राइवर एक ही फास्टैग को कई गाडिय़ों के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं। इससे टोल से गुजरने वाली गाडिय़ों का डेटा मिस मैच होता है। यह गैर कानूनी है। एनएचएआई ने 11 जुलाई को इसकी घोषणा की थी। टोल कलेक्शन एजेंसियों को तुरंत ऐसे फास्टैग की रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है, जिसके आधार पर एनएचएआई फास्टैग को ब्लैकलिस्ट करेगी। एनएचएआई जल्द ही एनुअल पास सिस्टम और मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग शुरू करने वाली है। इन नए सिस्टम्स में फास्टैग की सही स्थिति बहुत जरूरी है, ताकि टोल कलेक्शन बिना रुकावट हो और सिस्टम की विश्वसनीयता बनी रहे। एनएचएआई ने टोल कलेक्शन एजेंसियों को एक खास ईमेल आईडी दी है, जिसके जरिए वे तुरंत ऐसे फास्टैग की जानकारी दे सकते हैं। इसके बाद एनएचएआई उस फास्टैग को ब्लैकलिस्ट या हॉटलिस्ट कर देगी, जिससे वह काम करना बंद कर देगा।