चेन्नई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी मद्रास ने जल संरक्षण और वैश्विक परिवर्तन विषय पर एक नया ज्वाइंट मास्टर प्रोग्राम शुरू करने के लिए दो जर्मन विश्वविद्यालयों आरडब्ल्यूटीएच आचेन, और टीयू ड्रेसडेन से सहयोग करार किया है। इसमें एआईटी, बैंकॉक और यूएनयू-फ्लोरेस का भी सहयोग मिलेगा। प्रोग्राम में नामांकित छात्र तीन विश्वविद्यालयों में पढ़ने का अवसर पाएंगे। आईआईटी मद्रास से शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत करेंगे और फिर टीयूडी और आरडब्ल्यूटीएच में कम से कम एक सेमेस्टर की पढ़ाई करेंगे। उन्हें उनकी पसंद के विश्वविद्यालय से मास्टर की थीसिस पूरा करने की सुविधा होगी। प्रोग्राम में आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2024 है। पहले बैच की कक्षाएं 29 जुलाई 2024 से शुरू होंगी। इच्छुक उम्मीदवार लिंक https://abcd-centre.org/master-program/ पर वेदन कर सकते हैं। प्रोग्राम के बारे में आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने बताया, हम सभी मिल कर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लक्ष्यों और इस रास्ते की अहम उपलब्धियों को पूरा करने दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। तदनुसार मानव संसाधन का विकास करना बहुत जरूरी है। हमें एसडीजी के मद्देनजर खास कर छात्रों में यह सोच विकसित करना होगा कि यह मसला किसी एक देश का नहीं बल्कि पूरी दुनिया का है। इस प्रोग्राम के छात्रों को अंतःविषयी अनुसंधान और अध्ययन का अवसर मिलेगा। वे वैश्विक परिदृश्य में जल संरक्षण की चुनौतियों से निपटने और जलवायु अनुकूलन के कौशल प्राप्त करेंगे। इंजीनियरिंग की निर्दिष्ट पृष्ठभूमि के भारतीय और विदेशी छात्र मास्टर प्रोग्राम में आवेदन कर सकते हैं। नए प्रोग्राम का महत्व बताते हुए आईआईटीएम के डीन प्रो. रघुनाथन रेंगास्वामी ने कहा, आईआईटीएम अपने साझेदार विश्वविद्यालयों के साथ अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक प्रोग्रामों का सुनियोजित विस्तार कर है। इस प्रोग्राम की डिग्री आरडब्ल्यूटीएच और टीयूडी से साझेदारी में दी जाएगी। इस तरह यह एक अभूतपूर्व प्रोग्राम है और यह भारतीय और विदेशी छात्रों के लिए एक शानदार अवसर है। इसके लिए इंटर्नशिप और मास्टर की थीसिस का काम भागीदार कम्पनियों, सरकारी एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिल कर पूरा किया जाएगा। इसमें सभी भागीदार संस्थानों की विशेषज्ञताओं के तालमेल से क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के भागीदारों की जरूरतें पूरी की जाएंगी। प्रोग्राम की मॉड्यूलर संरचना छात्रों को विदेश में पढ़ने का विंडो और विशेषज्ञता प्राप्त करने का विकल्प देगी।
जल से शुरू होता है जलवायु को अनुकूल करने का काम
आईआईटी मद्रास के जर्मन साझेदार संस्थान के साथ बातचीत में आईडब्ल्यूडब्ल्यू, आरडब्ल्यूटीएच आचेन के प्रमुख प्रो. होल्गर शूट्रम्फ ने कहा, जलवायु को अनुकूल करने का काम जल से शुरू होता है। इस चुनौती से निपटने के लिए दो महाद्वीपों के तीन देशों के चार प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों ने एक नया ग्लोबल जेएमपी लॉन्च किया था। इसको लेकर उत्साहित छात्रों से आग्रह है कि इस प्रोग्राम में आवेदन करें। जलवायु अनुकूलन विज्ञान में भावी लीडर बनें। प्रोफेसर जुरगेन स्टैम, हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग के प्रमुख, डीन फैकल्टी सिविल इंजीनियरिंग, टीयूडी, ने कहा, जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है। भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को रोकने की कारगर रणनीतियों को अपनाना और अनुकूलन करना होगा। छात्र हमारे जेएमपी का अध्ययन करें। पर्यावरण संरक्षण के भावी लीडर बन कर मानवता और प्रकृति दोनों के लिए जल संरक्षण सुनिश्चित करें।
मास्टर प्रोग्राम के पांच कोर्स होंगे
आईआईटी मद्रास में इस मास्टर प्रोग्राम में पांच कोर्स होंगे। टीयूडी और आरडब्ल्यूटीएच प्रत्येक छह कोर्स शुरू करेंगे। अंतिम सेमेस्टर मास्टर की थीसिस पूरा करने के लिए होगा जिसमें एक या अधिक भागीदारों और/ या संबंधित विश्वविद्यालयों के सलाहकार सहयोग देंगे। विदेशी छात्रों के लिए आईआईटी मद्रास के ग्लोबल एंगेजमेंट कार्यालय के माध्यम से कई प्रोग्राम उपलब्ध हैं, जिनमें एक अंतर्राष्ट्रीय इंटरडिसिप्लिनरी मास्टर डिग्री प्रोग्राम खासकर विदेशी छात्रों के लिए है। आईआईटी मद्रास में खास कर विदेशी छात्रों के लिए नौ इंटरडिसिप्लिनरी डिग्री कोर्स हैं। इंजीनियरिंग/विज्ञान के किसी भी विषय के छात्र आवेदन कर सकते हैं। विभिन्न विषयों में कोर और इलैक्टिव कोर्सों के अलावा विदेशी छात्रों को भारतीय संस्कृति पढ़ने और बुनियादी अनुसंधान कौशल प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। प्रोग्राम का दूसरा वर्ष शोध-आधारित मास्टर थीसिस के लिए होगा। दो साल का प्रोग्राम खास कर विज्ञान और इंजीनियरिंग के उच्च स्तरीय विदेशी छात्रों के लिए है जो इंटरडिसिल्पिनरी मास्टर डिग्री लेने के प्रबल इच्छुक हैं।