अशोक नगर। मध्य प्रदेश के अशाेक नगर जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां थाने में कुत्ते देखकर पुलिस अधीक्षक ने पहले तो मातहतों को को फटकार लगाते हुए पांच पुलिसकर्मियों को सजा सुना दी। बाद में जब पशु संगठन का दबाव बना तो अपना ही आदेश निरस्त कर दिया। खबर के मुताबिक अशोक नगर जिले के महिला थाने में बेसहारा कुतिया और उसके बच्चे दिखने से एसपी साहब इस कदर नराज हुए कि पहले तो पुलिसकर्मियों पर जमकर भडके और बाद में एक कार्यकारी उप निरीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मियों को लापरवाही के लिए परिनिंदा की सजा सुनाते हुए कहा कि थाना परिसर के अंदर कुत्ते और अन्य जानवर दोबारा न दिखें। हालांकि यह मामला जब एक पशु प्रेमी संगठन की जानकारी में आया तो उन्होंने इसका विरोध किया। मामला बिगडता देख पुलिस कप्तान ने दो दिन के भीतर ही अपना आदेश निरस्त कर दिया। पुल फॉर एनिमल्स संगठन की इंदौर इकाई की अध्यक्ष प्रियांशु जैन ने बताया कि अशोक नगर के महिला थाने में बेसहारा कुतिया और उसके बच्चे दिखने से पुलिस अधीक्षक नाराज हो गए। इसके बादकार्यकारी उप निरीक्षक और चार अन्य पुलिसकर्मियों को अनुचित काम किए जाने पर विभागीय निंदा की सजा दे दी। पुलिस अधीक्षक ने अपने आदेश में यह भी कहा कि भविष्य में महिला थाना परिसर और इसके कमरों में कुत्ते और अन्य जानवर प्रवेश न करें। प्रियांशु जैन ने कहा कि कुतिया और उसके बच्चे अशोक नगर के महिला थाना परिसर में अक्सर पाए जाते हैं।
पुश संगठन ने पत्र लिखकर दी कानून उल्लंघन की जानकारी
ऐसे में पुलिस अधीक्षक के आदेश की जानकारी मिलते ही उन्होंने उन्हें पत्र लिखा कि कुत्ते-बिल्लियों जैसे बेसहारा जानवरों के रहने की जगह बदलना या उन्हें उनके रहने के स्थान से भगाना कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि अशोकनगर के पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने हमें सूचित किया है कि संबंधित आदेश निरस्त कर दिया गया है। हालांकि, हम पता कर रहे हैं कि कुतिया और उसके बच्चों को महिला थाने से कहीं भगा तो नहीं दिया गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने यह आदेश रद्द किए जाने की पुष्टि की है। अधिकारी ने बताया कि पुलिस अधीक्षक के इस आदेश में महिला थाने में आने वाले आम नागरिकों को कुत्ते के काटने की स्थिति में उन्हें रैबीज वायरस से संक्रमित होने के खतरे का भी उल्लेख किया गया था। कई बार कानून के जानकार खुद ऐसी गलती कर देते हैं, जिसके लिए बाद में उन्हें पछतावा होता है। पुलिस कप्तान ने समय रहते मामले की नजाकत को समझा और आदेश वापस लेकर खुद की फजीहत होने से बचा लिया।