Sunday, August 3, 2025
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नागपुर में बारिश के चलते अभ्यास नहीं कर सके भारत-ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी

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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन टी20 मैचों की सीरीज का दूसरा मुकाबला नागपुर में 23 सितंबर को खेला जाएगा। इस मैच पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।शुक्रवार को भी बारिश के आसार हैं। इस यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मैच प्रभावित हो सकता है।नागपुर में बुधवार रात और गुरुवार सुबह जमकर बारिश हुई है। दोनों टीमें बुधवार को नागपुर पहुंची थी और उसे गुरुवार को अभ्यास करना था। खिलाड़ी होटल से स्टेडियम नहीं गए।उन्होंने होटल के जिम में ही पसीना बहाया। विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में दर्शकों की क्षमता 45 हजार हैं और सारे टिकट बिक चुके हैं। अगर मैच नहीं होता है तो दर्शकों को पैसे वापस किए जाएंगे।ग्राउंड्समैन ने पिच को देखने के लिए गुरुवार दोपहर को कवर हटाए, लेकिन बूंदा बांदी के खतरे के कारण जल्द ही कवर फिर से डाल दिए गए। विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन अधिकारियों के अनुसार, वे सुपर सॉपर चला रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई रिसाव न हो। यह स्टेडियम शहर से 20 किलोमीटर दूर है। इसके बावजूद दर्शकों में जबरदस्त उत्साह है। यहां तीन साल में पहली बार कोई अंतरराष्ट्रीय मैच खेला जाएगा।

 

घर पर ही करें बॉडी पॉलिशिंग मिलेंगे कई फायदे

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क्या है बॉडी पॉलिशिंग ?

बॉडी पॉलिशिंग त्वचा को स्वस्थ और सुंदर बनाए रखने का एक आसान ब्यूटी ट्रीटमेंट है। यह त्वचा से मृत त्वचा को दूर करने के साथ चमकदार बनाती है। यही नहीं इससे त्वचा पर टैनिंग को भी कम किया जा सकता है। बॉडी पॉलिशिंग में सबसे पहले करीब दस मिनट तक स्क्रब किया जाता है। हल्के हाथों से मसाज की जाती हैं। इसके बाद बॉडी वॉश करके त्वचा पर ग्लो पैक लगाया जाता है। 10 मिनट बाद पैक हटाने के बाद बॉडी शाइनर या बॉडी ऑयल लगाकर शरीर की मसाज की जाती है।

बॉडी पॉलिशिंग के फायदे : बॉडी पॉलिशिंग करने से त्वचा की मृत कोशिकाएं हट जाती है साथ ही टैनिंग भी दूर हो जाती है। इससे शरीर को बहुत आराम महसूस होता है और तनाव भी कम होता है। पॉलिशिंग करने से शरीर की रंगत एक समान होती है। चेहरे, हाथों और पैरों की तरह ही शरीर के अन्य हिस्सों को साफ, स्वस्थ और सुंदर रखना बहुत ही जरूरी रहता है। इसके लिए बॉडी पॉलिशिंग बहुत ही बेहतरीन विकल्प है। इसकी मदद से आप अपने शरीर के सभी अंगों की डेड स्किन से छुटकारा पाया जा सकता है। बॉडी पॉलिशिंग एक ब्यूटी ट्रीटमेंट है जिससे आपकी त्वचा में निखार आता है।

चीनी और स्ट्रॉबेरी स्क्रब : इसको बनाने के लिए सबसे पहले कुछ स्ट्रॉबेरी और चार या पांच चम्मच चीनी को पीसकर पेस्ट बना लें। इसे अपने पूरे शरीर पर लगाएं और इसे धोने से पहले लगभग 10 मिनट तक सूखने दें। फिर बादाम के तेल से पूरे शरीर को 5 मिनट कर मसाज करें। यह आप महीने में एक या दो बार कर सकते हैं।

दलिया और अंगूर के बीज का तेल : एक कप अंगूर के बीज के तेल में एक कप ओटमील पाउडर और आधा कप समुद्री नमक मिलाएं। पर्याप्त मात्रा में अंगूर के बीज का तेल मिलाकर इसका गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसे अपने शरीर पर लगाएं और कोमल मालिश करें। फिर इसे साफ करने के लिए रेगुलर पानी का उपयोग करें।

समुद्री नमक और विटामिन ई : आप घर पर ही अपनी त्वचा को चमकाने के लिए समुद्री नमक और विटामिन ई का उपयोग कर सकते हैं। एक कप समुद्री नमक में दो से तीन बड़े चम्मच विटामिन ई तेल मिलाएं। पेस्ट बनाने के लिए 2 से 3 चम्मच शहद और अच्छी मात्रा में बेबी ऑयल मिलाएं। इस पॉलिश मिश्रण को अपने पूरे शरीर पर लगाएं और मालिश करें।

कॉफी और चीनी : एक मोटा पेस्ट बनाने के लिए आधा कप चीनी और कॉफी मिलाएं और इसमें पर्याप्त मात्रा में नारियल का तेल डालें और मिलाए। फिर इसे शरीर पर लगाएं और 10 से 12 मिनट तक मालिश करें। फिर गुनगुने पानी से नहा लें।

शारदीय नवरात्रि की तैयारी शुरू

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ग्वालियर । गणेश उत्सव के बाद अब शहर में शारदीय नवरात्र की तैयारियां शुरू हो गई। नगर के सभी प्रमुख देवी   मंदिरों में अगर साफ सफाई के साथ पूजा, जप तप, अनुष्ठान की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है तो दुर्गा पंडाल लगाने वाली समितियां के साथ मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप से रहे है।शहर में जगह जगह देवी मां की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी ।  मूर्तिकार  कई फीट ऊंची प्रतिमाएं तैयार  कर रहे है। मूर्ति में लगने वाली सामग्री के दाम बढ़ जाने से इस बार भक्तों को प्रतिमाओं  के दाम  न्यौछावर के रुप मे अधिक देने पडेगे।   शारदीय नवरात्र २६ सितंबर प्रारंभ हो जाएंगे। इन नवरात्र में दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा है। इसलिए शहर में कई स्थानों पर इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई।   पंडालों में नौ दिन तक आकर्षक झांकियां लगाई जाएंगी। भजन, कीर्तन के साथ सांस्कृतिक आयोजन भी होंगे। पूरे शहर में माता के भक्त नवरात्र में शक्ति की भक्ति में लीन रहेगे। वहीं देवर मंदिरों में भी इन दिनों भक्तों की भारी भीड रहेंगी।

इन घरेलू उपायों से मोटापा करें कम

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1. नींबू के साथ शहद : विटामिन सी से भरपूर नींबू शरीर के एक्स्ट्रा फैट को कम करने का काम करता है। दूसरी चीज़ है शहद, जिसमें प्राकृतिक मिठास होती है, जो बिना कोलेस्ट्रॉल बढ़ाए वजन कम करने में मदद करता है।

2. पत्तागोभी : पत्तागोभी में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट होता है लेकिन कम मात्रा में तो वहीं फाइबर अच्छी-खासी मात्रा में। तो वजन घटाने के लिए आप पत्तेगोभी से बना सूप, सब्जी व सलाद खा सकते हैं।

3. पानी : मोटापा कम करने के लिए शरीर का हाइड्रेट रहना भी बेहद जरूरी है। दिन में 7-8 ग्लास पानी पीने से पेट भरा हुआ सा महसूस होता है जिससे भूख कम लगती है, ओवरईटिंग से बचा जा सकता है, जो मोटापा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।

4. गाजर :  गाजर भी लो कैलोरी वाली सब्जी है, जिसे खाकर बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा इसमें फाइबर भी अच्छी-खासी मात्रा में मौजूद होता है जो मोटापे को कम करने का काम करता है।

5. सौंफ : अतिरिक्त मोटापा घटाने में सौंफ भी बेहद फायदेमंद है। सौंफ फाइबर युक्त होता है जो भूख को नियंत्रित कर वजन घटाने में मदद करती है।

6. ग्रीन टी : बिना मेहनत मोटापा कम करने के उपाय के रूप में आप ग्रीन टी का सेवन भी कर सकते हैं। ग्रीन टी वजन घटाने के साथ ही बॉडी को डिटॉक्स करने का भी काम करती है।

7. खीरा : खीरा कई तरह से वजन घटाने में मदद करता है। यह कम कैलोरी युक्त होता है साथ ही इसमें पानी की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है और पानी शरीर के वजन को नियंत्रित करने का काम करता है।

UPSC की ओर से जियो साइंटिस्ट के 285 पदों पर निकली भर्ती

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जियो साइंटिस्ट भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ है। इस साल इस परीक्षा के माध्यम से कुल 285 पदों पर भर्ती होगी। UPSC की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, जियो साइंटिस्ट भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 21 सितंबर 2022 से शुरू हो गई है। इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को 11 अक्टूबर 2022 तक का समय दिया गया है।

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, जियोलॉजिस्ट ग्रुप A के कुल 216 पदों पर भर्तियां होंगी। इसके अलावा जियो फिजिस्ट ग्रुप A के 21 पदों पर, केमिस्ट के 19 और साइंटिस्ट बी के 29 पदों पर भर्तियां की जाएंगी।

फीस- उम्मीदवारों को अप्लीकेशन फीस के तौर पर 200 रुपये जनरल कैटेगरी और ओबीसी उम्मीदवारों को जमा करने होंगे। वहीं एससी, एसटी और पीएच वर्ग के उम्मीदवारों को कोई फीस नहीं देनी होगी।

ऐसे करें आवेदन

1. उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट- upsc.gov.in पर क्लिक करें। 
2. वेबसाइट के होम पेज पर What’s New के लिंक पर क्लिक करें।
3. इसके बाद Exam Notification: Combined Geo-Scientist (Preliminary) Examination, 2023 के लिंक पर क्लिक करें।
4. अब Click Here to Apply के ऑप्शन पर जाएं।
5. अगले पेज पर मांगी गई डिटेल्स भरकर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर लें।
6. रजिस्ट्रेशन नंबर के माध्यम से एप्लीकेशन फॉर्म भर सकते हैं।
7. आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद आगे की जरूरत के लिए एक प्रिंट लेकर रख लें।

पीसी शर्मा व उनके समर्थकों पर सरकारी कार्य बाधा डालने का केस

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भोपाल  । प्रदेश के पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा और उनके समर्थकों के खिलाफ  टीटी नगर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। उन पर शासकीय कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाय गया था। श्री शर्मा के साथ पार्षद गुड्डू चौहान व अन्य समर्थकों पर शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का केस दर्ज किया है। बता दें कि मंगलवार को गुलाब उद्यान के पास अतिक्रमण हटाने के दौरान विधायक और उनके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया था। कार्रवाई रोकने के लिए पार्षद योगेंद्र सिंह गुड्डू चौहान नगर निगम का मिनी ट्रक खुद चलाकर ले गए थे। इससे निगम अमला कार्रवाई नहीं कर पाया था। मामले में पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, पार्षद गुड्डू चौहान, नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी, पूर्व पार्षद मोनू सक्सेना व अन्य भी आरोपित बनाया गया है। टीटीनगर थानाप्रभारी चैन सिंह के मुताबिक मंगलवार को निगम का अमला लिंक रोड नंबर-एक स्थित गुलाब उद्यान के पास पहुंचा था। यहां 40 आदिवासी परिवार सरकारी जमीन पर लंबे समय से झुग्गियां बनाकर रह रहे थे। अमले ने कार्रवाई शुरू की, तभी वहां पूर्व मंत्री पीसी शर्मा समर्थकों के साथ पहुंचे। जब निगम अमला पीछे नहीं हटा, तो पार्षद चौहान ने अतिक्रमण अमले के मिनी ट्रक के चालक को उतारकर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गए थे। इसके बाद वे निगम अफसरों के सामने ही ट्रक को स्टार्ट कर कुछ दूर ले गए और ट्रक खड़ा करके चले गए थे। कांग्रेस नेताओं द्वारा ट्रक ले जाने पर निगम का अतिक्रमण अमला देखता रह गया था। अमला गुलाब उद्यान के पास झुग्गियों में रहने वाले आदिवासी परिवारों को शिफ्ट करने पहुंचा था। इन परिवारों को हाउसिंग फॉर ऑल (एचएफए) के तहत बनाए गए कोकता प्रोजेक्ट में मकान आवंटित किए गए हैं। कांग्रेसियों ने दो दिन तक कार्रवाई नहीं होने दी थी। बताया जाता है कि गाड़ी छीनने के मामले को निगम के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से लिया। इसी मामले में बुधवार को टीटी नगर थाना पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली है।

पेंशनरों को पेंशन पर मंहगाई राहत स्वीकृत

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जबलपुर । राज्य शासन ने पेंशनरों को पेंशन पर मंहगाई राहत स्वीकृत कर सभी विभागों को स्वीकृत महंगाई राहत का शीघ्र भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान में राज्य शासन के पेंशनरों, परिवार पेंशनरों को एक मई (भुगतान माह जून २०२२) से छटवें वेतन मान में मूल पेंशन, परिवार पेंशन पर १७४ प्रतिशत की दर से एवं सातवें वेतनमान में २२ प्रतिशत की दर से महंगाई राहत स्वीकृत है। राज्य शासन के आदेश पर मंहगाई राहत की दर में एक अगस्त २०२२ से छटवां वेतनमान में मंहगाई राहत दर १८९ प्रतिशत और सातवां वेतनमान में २८ प्रतिशत होगी। बढ़ी दर सितम्बर २०२२ से देय होगी। आदेश के अनुसार ८० वर्ष या उससे अधिक की आयु के पेंशनरों को देय अतिरिक्त पेंशन पर भी महंगाई राहत देय होगी। महंगाई राहत अधिवार्षिकी, सेवानिवृत्त, असमर्थता तथा क्षतिपूर्ति पेंशन पर देय होगी। सेवा से पदच्युत या सेवा से हटाए गए कर्मचारियों को स्वीकार किए गए अनुकंपा भत्ता पर भी महंगाई राहत की पात्रता होगी तथा परिवार पेंशन तथा असाधारण पेंशन प्राप्त करने वाले पेंशनरों को भी महंगाई राहत वित्त विभाग के प्रासंगिक आदेश अनुसार देय होगी। यदि किसी व्यक्ति को उसके पति-पत्नी की मृत्यु के कारण अनुकंपा के आधार पर सेवा में रखा गया है तो ऐसे मामलों में परिवार पेंशन पर महंगाई राहत की पात्रता नहीं होगी परंतु यदि पति-पत्नी की मृत्यु के समय वह सेवा में हैं तो पति-पत्नी की मृत्यु के कारण देय परिवार पेंशन पर उसे महंगाई राहत की पात्रता होगी। ऐसे पेंशनरों, जिन्होंने अपनी पेंशन का एक भाग सारांशीकृत कराया है, उन्हें महंगाई राहत उनकी मूल पेंशन पर देय होगी। यह आदेश राज्य शासन के ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर भी लागू होंगे जिन्होंने उपक्रमों, स्वशासी संस्थानों, मंडलों, निगमों आदि में संविलियन पर एकमुश्त राशि आहरित की है और जो पेंशन के एक तिहाई हिस्से के प्रत्यावर्तन के पात्र हो गए हैं। महंगाई राहत के भुगतान पर होने वाले रुपए के अपूर्ण भाग को अगले रुपए में पूर्णांकित किया जायेगा। संचालक पेंशन को बैंक की शाखाओं में नमूना जांच करने तथा विसंगति की स्थिति में उसका समायोजन आगामी माह के भुगतानों में करने के निर्देश दिये गये हैं। सभी पेंशन संवितरणकर्ता अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे मध्यप्रदेश कोषालय संहिता २०२० के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए पेंशनरों को स्वीकृत मंहगाई राहत का भुगतान सुनिश्चित करें।

एल्गिन पहुँची केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम

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 जबलपुर । केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से वरिष्ठ स्वास्थ्य सलाहकार डॉ एस के सिकदर एवं डिप्टी कमिश्नर मातृ स्वास्थ्य डॉ पद्मिनी कश्यप ने नगर प्रवास के दौरान लेडी एल्गिन हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। चिकित्सकों ने हॉस्पिटल में बन रहे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मिडवाइफरी ट्रेनिंग सेंटर एवं रानी दुर्गावती चिकित्सालय की ओ.पी.डी. एवं प्रसव कक्ष, सुमन हेल्प डेस्क का निरीक्षण किया गया। चिकित्सा अधिकारियों द्वारा क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण केन्द्र में चल रही स्किल लैब का भी बारीकी से निरीक्षण किया गया। भारत सरकार की टीम द्वारा जबलपुर में किए जा रहे मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की सराहना की गई एवं फील्ड स्टाफ कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर, ए एन एम, आशा को प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए गए। निरीक्षण के दौरान उपसंचालक मातृ स्वास्थ्य डॉ अर्चना मिश्रा, क्षेत्रीय संचालक डॉ संजय मिश्रा, क्षेत्रीय प्रबंधक निहार दीवान, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ डी मोहंती, डी.पी.एम विजय पाण्डेय, डी सी एम सुश्री दीपिका साहू उपस्थित रही।

पुरखों की विरासत और हम खुदगर्ज लोग..

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अभी तो घर में हलवा, पूड़ी खीर की श्राद्ध का रिवाज बचा है। संभव है कल यह सब वर्चुअल हो जाए..। अब तो बड़े- बड़े तीर्थों में विराजे देवी देवताओं की वर्चुअल पूजा-पाठ का भी चलन है।इस स्वार्थी मीडियावी युग में पुरखे कबतक स्मृतियों में बने रहते हैं यह भी एक बड़ा प्रश्न है।

पितरपक्ष समापन की बेला में है। इसके बाद मातृपक्ष शुरू होगा, यानी कि नौदुर्गा। पंद्रह दिन का पितृपक्ष, शरद और चैती नौदुर्गा को मिलाकर अठारह दिन का मातृपक्ष। हमारे पूर्वजों ने कितना अनूठा विधान रचा था।
यह हमारी सनातनी संस्कृति की विशिष्टता है कि प्रकृति से जुड़े पर्व है तो जीव से जुड़े भी। प्रकृति माया है तो जीव ब्रह्म। दोनों के समन्वय से सृष्टि का अस्तित्व है। प्रकृति के हर तत्व पूज्यनीय हैं चाहे वे व्यक्त हो या अव्यक्त।
हर वनस्पति में ईश्वर का वास है। सब का कहीं न कहीं उपयोग। नदी- पर्वत- सागर- सरोवर- झरने सभी दैवीय रूप से पूज्य हैं। उसी तरह हर जीव भी हमारे जीवन संस्कार और संस्कृति से जुड़ा है।
नागपंचमी मनाया तो उसके चार दिन बाद ही नेवला नवमी आ गई । साँप और नेवला जानी दुश्मन लेकिन हमारी परंपरा में दोनों समभाव से पूजे जाते हैं।
माँ दुर्गा की सवारियां भी बड़ी विचित्र हैं। सिंह तो गदर्भ भी, सियार है तो उलूक भी।
एक पर्व आता है बहुला चौथ का। अद्भुत पर्व है यह। गाय और बाघ की कथा। गाय बाघ को भाई मानती है तो बाघ बछड़े को अपना भान्जा। बाघ भाई भी है और मामा भी। वह अपने सबसे सुभेद्य शिकार को अभयदान देता है।
मार्मिक पर्व है बहुला चौथ जो लगभग पूरे देश में अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है। संसार में प्रकृति और जीव को लेकर ऐसा दैवीय भाव शायद ही किसी संस्कृति और सभ्यता में मिले।
अब प्रश्न यह कि क्या सनातन की इस विरासत को हम सहेज पा रहे हैं? उसके मर्म और उसके अर्थ से स्वयं को जोड़ पा रहे हैं..? शायद नहीं। इसीलिए हम एक दिन का मदर्स डे, फादर्स डे आदि-आदि मनाकर फारिग हो जाते हैं।
रिश्ते अब फास्टफूड हो चले हैं। इस भागमभाग में हम अपनी संस्कृति को कहीं पीछे वैसे ही निर्वासित करते जा रहे हैं जैसे कि माँ का दर्जा प्राप्त गऊमाता को। अलशीशियन के लिए बेडरूम में जगह है, गोमाता के लिए घर-चौबार में भी कोई गुंजाइश नहीं। ऐसे पशुवत रिश्ते समाज और घरपरिवार में भी पनपते जा रहे हैं।
चलिए इस पितरपक्ष की चर्चा कर लें और उन जिंदा पितरों का हालचाल जान लें। इनमें से कई घर में ही पितर बन जाने की प्रतीक्षा में हैं, कईयों को घर में ठौर नहीं इसलिए वृद्धाश्रम में जिन्दगी की उलटी गिनती गिन रहे हैं। यह जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि कल हम भी पितर में परिवर्तित हो जाने वाले हैं। पता नहीं कोई हमारा पिंडा पारने, गया-बराही करने जाता भी है कि नहीं।
अभी तो घर में हलवा, पूड़ी खीर की श्राद्ध का रिवाज बचा है। संभव है कल यह सब वर्चुअल हो जाए..। अब तो बड़े- बड़े तीर्थों में विराजे देवी देवताओं की वर्चुअल पूजा-पाठ का भी चलन है।इस स्वार्थी मीडियावी युग में पुरखे कबतक स्मृतियों में बने रहते हैं यह भी एक बड़ा प्रश्न है।
जो आज जिन्दा हैं वो जो अपने पितरों के लिए कर रहे हैं, जब ये पितर बन जाएंगे तो इनके बाद की पीढ़ी वही करेगी जो उसने देखा है..। इस कटु यथार्थ से हम सबको एक दिन बवास्ता होना है।
फिलहाल एक ऐसे ही जिंदा पितर की सत्यकथा सुनिए। पितरों की श्रेणी में पहुंचने से पहले ये बडे़ अधिकारी थे। आफिस का लावलश्कर चेले चापड़ी, दरबारियों से भरापूरा बंगला। जब रसूख था और दौलत थी तब बच्चों के लिए वक्त नहीं था। लिहाजा बेटा जब ट्विंकल ट्विंकल ..की उमर का हुआ तो उसे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया। आगे की पढाई अमेरिका में हुई।
लड़का देश, समाज, परिवार, रिश्तेदारों से कैसे दूर होता गया साहब बहादुर को यह महसूस करने का वक्त ही नहीं मिला। वे अपने में मुदित रहे।
उधर एक दिन बेटे ने सूचना दी कि उसने शादी कर ली है। इधर साहब बहादुर दरबारियों को बेटे की माडर्न जमाने की शादी के किस्से सुनाकर खुद के भी माडर्न होने की तृप्ति लेते रहे क्योंकि इसके लिए भी वक्त नहीं था।
एक दिन वह भी आया कि रिटायर्ड हो गए। बड़ा बंगला सांय-सांय लगने लगा। सरकारी लावलश्कर, दरबारी अब नए अफसर का हुक्का भरने लगे। जब तक नौकरी की नात रिशतेदारों को दूरदुराते रहे। रिटायर हुए तो अब वे नातरिश्तेदार दूरदुराने लगे।
तनहाई क्या होती है अब उससे वास्ता पड़ा। वीरान बंगले के पिंजडे में वे पत्नी तोता मैना की तरह रह गए।
एक दिन सूचना मिली कि विदेश में उनका पोता भी है जो अब पाँच बरस का हो गया। बेटे ने माता पिता को अमेरिका बुला भेजा। रिटायर्ड अफसर बहादुर को पहली बार गहराई से अहसास हुआ कि बेटा, बहू, नाती पोता क्या होता है।
दौलत और रसूख की ऊष्मा में सूख चुका वात्सल्य उमड़ पड़ा। वे अमेरिका उड़ चले। बहू और पोते की कल्पित छवि सँजोए।
बेटा हवाई अड्डा लेने आया। वे मैनहट्टन पहुंचे। गगनचुंबी अपार्टमेंट में बेटे का शानदार फ्लैट था। सबके लिए अलग कमरे। सब घर में थे अपने अपने में मस्त।
सबके पास ये सूचनाएं तो थीं कि एक दूसरे का जैविक रिश्ता क्या है पर वक्त की गर्मी ने संवेदनाओं को सूखा दिया था। एक छत के नीचे सभी थे पर यंत्रवत् रोबोट की तरह। घर था, दीवारें थी,परिवार नहीं था।
रात को अफसर साहब को ऊब लगी पोते की। सोचे इसी के साथ सोएंगे, उसका घोड़ा बनेगे, गप्पे मारेंगे, आह.. अंग्रेजी में जब वह तुतलाकर दद्दू कहेगा तो कैसा लगेगा..!
वे आहिस्ता से फ्लैट के किडरूम गए। दरवाजा खोलकर पोते को छाती में चिपकाना ही चाहा ..कि वह नन्हा पिलंडा बिफर कर बोला…हाऊ डेयर यू टु इंटर माई रूम विदाउट परमीशन..दद्दू। दद्दू के होश नहीं उड़े बल्कि वे वहीं जड़ हो गए पत्थर के मूरत की तरह। दूसरे दिन की फ्लाइट पकडी भारत आ गए।
एक दिन अखबार में वृद्धाश्रम की स्पेशल स्टोरी में उनकी तस्वीर के साथ उनकी जुबान से निकली यह ग्लानिकथा पढने व देखने को मिली।
इस कथा में तय कर पाना मुश्किल है कि जवाबदेह कौन? पर यह कथा इस बात को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है कि संयुक्त परिवारों का विखंडन भारत के लिए युग की सबसे बड़ी त्रासदी है। संवेदनाएं मर रही हैं और रिश्ते नाते वक्त की भट्ठी में स्वाहा हो रहे हैं।
कभी संयुक्त परिवार समाज के आधार थे जहां बेसहारा को भी जीते जी अहसास नहीं हो पाता था कि उसके आगे पीछे कोई नहीं। वह चैन की मौत मरता था। आज रोज बंगले या फ्लैट में उसके मालिक की दस दिन या महीने भर की पुरानी लाश मिला करती है। वृद्धों में खुदकुशी करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।
रिश्ते नातों का जो वृस्तित संसार हमारे यहाँ रहा है वह दुर्लभ है। घर-परिवार के साथ ही नहीं गाँव और मेड़ौर के दूसरे वर्ग के लोग भी रिश्तों में बँधे होते थे। हमारे हरवाह की बेटी बिदा हो रही है तो लगता था अपनी ही बिटिया है।
पाश्चात्य संस्कृति ने और देश की खुदगर्ज राजनीति ने हमारे समाज को जातियों में बाँट दिया। परिवार भी ऐसे ही विखंडित हो चले। हम एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं तलवार भाँजते, नाश मनाते।
प्रकृति अब भोग्या बन गई है। पहले आम का वृक्ष इतना पूज्य माना जाता था कि हम उसका ब्रतबंध करते थे..फिर व्याह भी रचाते। आम के बगीचों में समाज के कुशलक्षेम के लिए हवन-यग्य होते थे। अब वे पेड़ बुजुर्ग हो गए हमारे किसी काम के नहीं रह गए।
प्लाट काटना, कालोनी बसाना जरूरी हो सो ऐसे बगीचे साफ कर दिए जाते हैं पूरी क्रूरता के साथ। पुराने और पुरखों के जमाने के बाग बगीचे ऐसे ही मारे जा रहे हैं..क्या शहर क्या गाँव।
सरोवर और तालाब पाटकर कालोनियां काटी जाती हैं। इन्हें हमारे पुरखों ने मंत्रों के उच्चारण व पवित्र संकल्प के साथ बनाया था। पीपल- बट- मौलश्री के पेंड़ लगाए, मंदिर बनाकर महादेव बिराज दिया या देवीदाई की मेढुली बना दी। अब वे ध्वस्त की जा रही हैं। शापिंग माल, वाटर पार्क और रिसार्ट बन रहे हैं।
पर्वतों के पंख होते थे ऐसी कल्पना हमारे पुराणों में है। वे हमें आश्रय देते थे। प्रभुराम कामदगिरि में रहे तो कृष्ण के गोकुल की रक्षा गोवर्धन पर्वत ने की। पुराण कथाओं में पर्वतों की महत्ता शिखर पर है। उस शिखर को हम जेसीबी- पोकलेन से ढहाकर वहाँ से खनिज निकाल रहे हैं। सड़कों में ढहा रहे हैं।
आने वाली पीढ़ी सिर्फ कथाओं में पढ़ेगी कि नर-और नारायण ने बद्रीनाथ के पर्वत में तपस्या की थी। क्योंकि अब वहाँ आपको रिसार्ट मिलेंगे या पोंदाडिया महंतों के पाँच सितारा आश्रम..।
पुरखे चाहे प्रकृति के हों या जीव के दोनों संकट में हैं। दोनों ही अनाथ और उपेक्षित।
पुरखे हमारी निधि हैं और पितर उसके संवाहक। हमारी संस्कृति व परंपरा में पितृपक्ष इसीलिए आया कि हम अपने बाप दादाओं का स्मरण करते रहें। और उनकी जगह खुद को रखकर भविष्य के बारे में सोचें।
हमारे पुरखे श्रुति व स्मृति परंपरा के संवाहक थे। भारतीय ग्यान परंपरा ऐसे ही चलती चली आई है और वांगमय को समृद्ध करती रही है। ये पितरपक्ष रिश्तों की ऊष्मा और त्रासदी पर विमर्श का भी पक्ष है।
रवीन्द्र नाथ टैगोर की चेतावनी को नोट कर लें -जो पीढी पुरखों को विस्मृत कर देती है उसका भविष्य रुग्ण और असहाय हो जाता है।

संपर्कः 8225812813
jayramshuklarewa@gmail.com
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अगले साल से अपने पुराने रूप में लौटेगा IPL

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इंडियन प्रीमियर लीग 2023 के सीजन से कोविड-19 से पहले के अपने मूल प्रारूप में वापसी करेगा, जिसमें टीमें अपने घरेलू मैदान और विरोधी टीम के मैदान पर मैच खेलती थीं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने इस बारे में बोर्ड से मान्यता प्राप्त इकाइयों को सूचित करा दिया है। साल 2020 में कोविड-19 महामारी फैलने के कारण आईपीएल कुछ स्थानों पर ही आयोजित किया गया। वर्ष 2020 में इसका आयोजन संयुक्त अरब अमीरात के तीन स्थानों दुबई, शारजाह और अबुधाबी में खाली स्टेडियमों में किया गया था।

बीसीसीआई 2020 के बाद पहली बार अपना पूर्ण घरेलू सीजन का आयोजन कर रहा है जिसमें टीमें घरेलू और विरोधी टीम के मैदान के पुराने फॉर्मेट में खेल रही हैं। बीसीसीआई इसके अलावा अगले साल के शुरू में बहु प्रतीक्षित महिला आईपीएल का आयोजन करने की भी योजना बना रहा है। पीटीआई ने पिछले महीने रिपोर्ट दी थी कि महिला आईपीएल का आयोजन दक्षिण अफ्रीका में होने वाले महिला टी20 वर्ल्ड कप के बाद मार्च में किया जा सकता है। गांगुली ने 20 सितंबर को भेजे गए संदेश में कहा, 'बीसीसीआई अभी बहुप्रतीक्षित महिला आईपीएल के आयोजन पर काम कर रहा है। इसका पहला सीजन अगले साल के शुरू में आयोजित किया जा सकता है।'

 

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