Saturday, July 27, 2024
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चुनावी साल में नेताओं के भड़काऊ भाषणों पर नकेल कसने की कवायद

नई दिल्ली । देश में नेताओं के भड़काऊ भाषणों पर नकेल कसने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को नफरत फैलाने वाले भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश का दायरा बढ़ाते हुए कहा कि इस मामले में बिना किसी शिकायत के भी एफआईआर दर्ज करनी होगी। इसके साथ-साथ शीर्ष न्यायालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस मामले में अगर केस दर्ज करने में देरी की जाती है तो उसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।
ज्ञातव्य है की देश में पिछले कुछ साल से हेट स्पीच के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। नफरत भरे भाषणों पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ यूपी, दिल्ली और उतराखंड सरकार को ये आदेश दिया था, लेकिन अब ये आदेश सभी राज्यों को दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसे मामलों में कार्रवाई करते हुए बयान देने वाले की धर्म की परवाह नहीं करनी चाहिए. ऐसे ही धर्मनिरपेक्ष देश की अवधारणा को जिंदा रखा जा सकता है। अदालत ने कहा कि हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है।
अदालत ने कहा कि हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है। न्यायाधीश गैर-राजनीतिक हैं और उन्हें पार्टी ए या पार्टी बी से कोई सरोकार नहीं है और उनके दिमाग में केवल भारत का संविधान है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न हिस्सों से दाखिल हेट स्पीच से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पहले पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर नफरत फैलाने वाले बयान देने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने 21 अक्टूबर 2022 को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सराकरों को ऐसे मामलों में बिना शिकायत के केस दर्ज करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने आज अपने आदेश का दायरा बढ़ा दिया है।
हेट स्पीच के कई मामले पिछले कुछ समय में देखे गए हैं। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गई हैं। कोर्ट ने हाल-फिलहाल के समय में सरकारों के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां भी की हैं। पिछले महीने ही हेट स्पीच से जुड़े इसी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस समय राजनीति व धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे, तब हेट स्पीच बंद हो जाएगी। उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों का भी जिक्र किया था और कहा था कि उनके समय में दूर-दूर के लोग उन्हें सुनने के लिए आते थे।
राज्य सरकारों को बताया था नपुसंक
कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा था कि हर दिन फ्रिंज एलिमेंट टेलीविजन और मंचों से दूसरों को बदनाम करने के लिए स्पीच दे रहे हैं। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने राज्य सरकारों को नपुसंक तक करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हेट स्पीच की घटनाओं के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। सभी को अपनी इज्जत प्यारी होती है, लेकिन ऐसे बयान दिए जाते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। सच्चाई यह है कि उन्होंने यह देश चुना है। बेंच ने कहा था कि नफरत एक दुष्चक्र है और राज्य को कार्रवाई शुरू करनी होगी।

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