पटना: बिहार विधान सभा का बजट सत्र 28 फरवरी से प्रारंभ होगा और 28 मार्च तक चलेगा। इस दौरान सरकार जहां आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी वहीं वित्तीय वर्ष 2025-26 का वार्षिक बजट भी पेश होगा। सत्र के दौरान कुल 20 बैठकें होगी। मंत्रिमंडल से विधानमंडल के बजट सत्र की स्वीकृति के बाद इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश के मुताबिक सत्र के पहले दिन 28 फरवरी को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां दोनों सदनों को एक साथ संबोधित करेंगे। एनडीए सरकार की भावी योजनाओं और अब तक राज्य में किये गये विकास कार्यों के साथ चल रही योजनाओं की विस्तार से जानकारी देंगे। इसके अलावा पहले दिन ही राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों को सदन में पेश किया जाएगा। 28 फरवरी को ही सरकार सदन में आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश करेगी। एक और दो मार्च को बैठक नहीं होगी। तीन मार्च को सदन में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया जाएगा। साथ ही राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद और वाद-विवाद प्रस्तावित है।
एक नजर में अन्य दिनों की गतिविधियां
4 मार्च – राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद एवं सरकार का उत्तर.
5 मार्च – बजट पर सामान्य विमर्श.
6 मार्च – बजट पर सामान्य विमर्श और सरकार का उत्तर व तृतीय अनुपूरक बजट का उपस्थापन.
7 मार्च – बजट की अनुदान मांगों पर वाद-विवाद तथा मतदान.
10 मार्च – तृतीय अनुपूरक पर वाद-विवाद व सरकार का उत्तर, विनियोग विधेयक.
11-13 मार्च – वर्ष 2025-26 के आय-व्ययक के अनुदान मांगों पर वाद-विवाद तथा मतदान.
14-16 मार्च- होली की वजह से बैठकें नहीं होंगी.
17-21 मार्च- वर्ष 2025-26 के आय-व्ययक के अनुदान मांगों पर वाद-विवाद तथा मतदान.
24 मार्च – विनियोग विधेयक पर वाद-विवाद तथा सरकार का उत्तर.
25 मार्च – राजकीय विधेयक व अन्य राजकीय कार्य.
26 मार्च – गैर सरकारी सदस्यों के कार्य.
27 मार्च – राजकीय विधेयक एवं अन्य राजकीय कार्य.
28 मार्च – गैर सरकारी सदस्यों के कार्य (गैर सरकारी संकल्प).
राज्य से बाहर निकालने की कोई योजना नहीं : डॉ. अखिलेश
वहीं दूसरी ओर पटना में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि 2025-26 के केंद्रीय बजट में बिहार को कुछ नहीं मिला। बजट में बिहार को बीमारू राज्य से बाहर निकालने की कोई योजना नहीं है। वे सोमवार को राज्यसभा में केंद्रीय बजट पर वाद-विवाद के क्रम में अपना पक्ष रख रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को मीडिया में ऐसे प्रचारित किया गया जैसे बिहार को ही बजट में सब सौगात मिल गई। पर मिला क्या इस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बिहार को हरियाणा और पंजाब बनाने की बात कही थी। बिहार को 1.80 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की बात कही थी, जो आज तक नहीं मिला। देश के कुल जीडीपी में बिहार का योगदान आठ प्रतिशत था, जो आज मोदी सरकार के कार्यकाल में चार प्रतिशत रह गया है।
बिहार में कृषि ऋण भुगतान कम, अन्य राज्यों से पिछड़ा
बिहार में सड़कों पर खर्च की दर 44 रुपया है, लेकिन राष्ट्रीय औसत 117 रुपए है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने खुद अपने रिपोर्ट में स्वीकारा है कि बिहार में बाकी राज्य के अपेक्षा कृषि ऋण का भुगतान बेहद कम है। नीति आयोग के रिपोर्ट को देखा जाए तो स्वास्थ्य, शिक्षा, औद्योगिकीकरण में हम या तो निचले पायदान पर हैं या अंतिम हैं। बिहार ने आपको लोकसभा में क्रमश: तीन चुनावों में 32, 39 और 30 सांसद दिए लेकिन बिहार के साथ सिर्फ छलावा किया गया।