जयपुर । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राजभवन मे प्रदेश के वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में नेक रैंकिंग और नई शिक्षा नीति से जुड़े मुद्दों पर आयोजित कार्यशाला में विश्वविद्यालयों का रोस्टर बनाने, कॉलेजों की भी नैक रैंकिग के लिए तैयारी करने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम इस तरह से तैयार करने पर जोर दिया जिससे विद्यार्थी नौकरी करने के लिए नहीं बल्कि नौकरी देने वालों के रूप में तैयार हो सकें।
उन्होंने राज्य के सभी वित्तपोषित विश्वविद्यालयों की आवश्यक रूप से नेक रैंकिंग करवाने और इसके लिए अब तक की गई तैयारी की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण संस्कृति विकसित करने के लिए नैक रैंकिंग जरूरी है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालयों को पाठ्यचर्या को बेहतर बनाने, शिक्षण अधिगम और मूल्यांकन व्यवस्था सुदृढ़ करने, अनुसंधान और नवाचारों को अपनाते हुए संस्थागत रूप में श्रेष्ठ प्रथाए अपने यहां विकसित किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नैक रैंकिंग से विश्वविद्यालयों की विश्वसनीयता बढ़ेगी, वे सक्रिय और जीवंत हो सकेंगे तथा इससे उन्हें विभिन्न एजेंसियों से समुचित आर्थिक सहायता समय पर मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान उच्च शिक्षा में अग्रणी बने, इसके लिए सभी विश्वविद्यालय नैक रैकिंग की आवश्यक तैयारियां और समय पर इस संबंध में आवेदन प्रस्तुत करें।बागडे ने नैक रैंकिंग के लिए विश्वविद्यालयवार ऑनलाइन व ऑफलाइन डाक्यूमेंटेशन की प्रगति की भी समीक्षा की तथा शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि, विश्वविद्यालय में मौलिक शोध और पेटेंट आदि के लिए अधिक से अधिक प्रयास किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भी ऐसे पाठ्यक्रम और नवाचार अपनाने पर जोर दिया जिससे भारत विश्व भर में ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में तेजी से अपना महती स्थान बना सकें। उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ विद्यार्थियों में स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रयास करने पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि प्रयास किया जाए कि राजस्थान विकसित भारत के संकल्प को शिक्षा के जरिए पूरा करने में देशभर में अग्रणी बनें।कार्यशाला में राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों की नैक रैंकिंग के लिए मुख्य बिन्दुओं पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने प्रस्तुतिकरण दिया। इस संबंध में विभिन्न स्तरों पर कुलपतियों का विमर्श भी हुआ। उन्होंने विश्वविद्यालयों में आधारभुत सुविधाओं के विकास और कार्यप्रणाली को सुदृढ किए जाने संबंधित सुझाव दिए। इस दौरान विश्वविद्यालयों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों और नई शिक्षा नीति से जुड़े विषयों पर भी विषद् चर्चा हुई।