भोपाल । मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपराधियों की धरपकड़ तेज की जाएगी। पुलिस उन अपराधियों पर खास फोकस कर रही है, जिनके खिलाफ स्थाई वारंट जारी हैं। एमपी में ऐसे अपराधियों की सं या तकरीबन 45 हजार है। जिन अपराधियों के खिलाफ अदालत की ओर से अस्थाई वारंट जारी किए गए हैं, उन्हें भी मिला दिया जाए तो गिर तार करने वाले अपराधियों की संख्या तीन लाख के करीब है।
पुलिस मुख्यालय की अपराध अन्वेषण शाखा (सीआईडी) के विशेष महानिदेशक जीपी सिंह ने इस संबंध में सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा है। उन्होंने वारंटों की तामीली कराने और स्थाई वारंटियों पर खास फोकस करने के निर्देश दिए हैं। इस कार्रवाई के निर्देश आने वाले चुनाव के मद्देनजर दिए गए हैं। सिंह नेे सभी जिलों के एसपी से वारंट तामीली का ब्यौरा भी मांगा है। दरअसल सितंबर में चुनाव आयोग की फुल वेंच भोपाल आ रही है। फुल वेंच आगामी चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेगी और उसमें अपराधियों का रिकार्ड भी शामिल है।
सामान्य दिनों में राजनीतिक दबाव के चलते अपराधियों की गिर तारी नहीं हो पाती है। ऐसा इसलिए कि ज्यादातर अपराधी सत्ताधारी दल के किसी ना किसी नेता से जुड़े होते हैं। पुलिस दबिश देने पर राजनीतिक दबाव शुरू हो जाता है। चूंकि अपराधियों की धरपकड़ चुनाव आयोग के निर्देश पर हो रही है, ऐसे में अब सियासी दबाव नहीं चलेगा। सबसे ज्यादा फरार आरोपियों की सं या ग्वालियर और चंबल इलाके में है। उसके बाद दूसरा नंबर झाबुआ और अलीराजपुर का है। सामान्य तौर पर यह सामने आया कि ग्वालियर और चंबल इलाके के अपराधी राजनीतिक दबाव में नहीं पकड़े जाते हैं। झाबुआ और अलीराजपुर इलाके में अपराध करने वाले काम की तलाश में गुजरात चले जाते हैं। दूसरे राज्यों से धरपकड़ करना पुलिस के लिए आसान नहीं होता है, लेकिन चुनाव के वक्त पुलिस की सक्रियता बढ़ जाती है। इसीलिए अपराधियों की धरपकड़ के निर्देश दिए गए हैं। अफसरों का कहना है कि इसको लेकर प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा। इसके पीछे का मकसद शांतिपूर्ण चुनाव कराना है