अजब MP-गजब MP : हिंदी में इंजीनियरिंग (engineering in hindi) की पढ़ाई के एमपी सरकार के अभियान को बल नहीं मिल रहा है। इस वर्ष प्रस्तावित 150 हिंदी तकनीकी सीटों में से पांच फीसदी से भी कम सीटें भरी गई हैं। सरकार ने जितनी सीटें रिजर्व रखी थीं, उसकी 90% सीटें खाली रह गई हैं। यहां तक कि टीचर तक टेक्निकल सब्जेक्ट को लोकल तरीके से पढ़ाने को लेकर तनाव में हैं। मध्यप्रदेश में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की मंजूरी के बाद पिछले साल (2021-22) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू हुई थी। उस साल 10 से कम छात्रों ने हिंदी में पढ़ाई का ऑप्शन चुना था। 16 अक्टूबर से राज्य में एमबीबीएस की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू हो गई है। ऐसे में यह देखा जाना है कि हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई में कितने छात्र दिलचस्पी दिखाते हैं। इंजीनियरिंग क्षेत्र में सरकारी कोशिशों की हार हुई है।
शिक्षकों और शिक्षा प्रशासकों में यह भावना है कि इंजीनियरिंग विषयों को हिंदी में पढ़ाने का प्रयास जल्दबाजी में किया गया है। पुस्तकों को अनुवाद किया गया है लेकिन अधिकांश शिक्षक परेशान हैं क्योंकि उन्होंने अंग्रेजी माध्यम में अपनी डिग्री प्राप्त की है। कक्षा में हिंदी की चुनौती को स्वीकार करने में सहज नहीं हैं। कुल मिलाकर फर्स्ट ईयर के लिए 20 इंजीनियरिंग किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है, जिसमें यूजी कक्षाओं के लिए नौ और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए 11 शामिल हैं।
राज्य सरकार ने 6 जून 2022 को प्रदेश के 6 इंजीनियरिंग कॉलेजों की अलग-अलग ब्रांच में हिंदी में पढ़ाने का आदेश भी जारी किया था। इनमें एडमिशन के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग के ऑनलाइन काउंसिलिंग के दौरान सिर्फ 3 इंस्टीट्यूट की ब्रांच में ही हिंदी (इंडियन/रीजनल लैंग्वेज) में पढ़ाई कराने का ऑप्शन दिया गया है। तीनों इंस्टीट्यूट इंदौर के हैं, जिसमें SGSITS भी शामिल है। इसमें से 2 इंस्टीट्यूट में 20 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है, जबकि एक में कोई एडमिशन नहीं हुआ है। इन 20 में से 19 छात्रों ने कम्प्यूटर साइंस व एक छात्र ने बायो मेडिकल इंजीनियरिंग सब्जेक्ट में हिंदी में पढ़ाई के लिए चुना है। बायो मेडिकल वाले छात्र ने भी हिंदी से हाथ जोड़ लिए और उसने अंग्रेजी माध्यम से लिए आवेदन कर दिया है। छात्र का कहना है कि उसके समझ में कुछ नहीं आ रहा है। अंग्रेजी के सामान्य शब्दों को बेहद कठिन हिंदी में दिया गया है। इसे लेकर मुझे अपने भविष्य की चिंता सता रही है कि आगे मुझे इस डिग्री के साथ जॉब मिलेगा या नहीं।
हिंदी में कैसे पढ़ाएंगे
वहीं, एक नवंबर से शुरू हुए सत्र से पहले शिक्षक इस बात को लेकर चिंतित थे कि वे अपने विषय को हिंदी में कैसे पढ़ाएंगे। आखिरकार, यह छात्रों का करियर दांव पर है और किसी ऐसे व्यक्ति के लिए एक बड़ा बोझ है, जिसे हिंदी में अपनी डिग्री नहीं मिली है। एक वरिष्ठ संकाय सदस्य ने कहा कि अंग्रेजी इंजीनियरिंग की किताबों का हिंदी में अनुवाद करते समय अधिकारियों ने सबसे बड़ी गलती की है कि उन्होंने तकनीकी शब्दों का भी अनुवाद किया है, जो छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए परेशानी पैदा करेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बल और गुरुत्वाकर्षण बल जैसे तकनीकी शब्दों का अनुवाद करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इन शब्दों को हर कोई समझता है। दुर्भाग्य से इन पुस्तकों में तकनीकी शब्दों का शास्त्रीय हिंदी में अनुवाद किया गया है और यह कक्षा शिक्षण को प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को पढ़ाने के लिए पहले हिंदी तकनीकी शब्दों को सीखना होगा।
प्रोफेसर भी उठा रहे सवाल
यहां तक कि किताबों के शीर्षकों का भी अनुवाद किया गया है। एक अन्य प्रोफेसर ने उदाहरण देते हुए कहा कि ‘इंजीनियरिंग वर्कशॉप प्रैक्टिस’ की किताब का हिंदी में अनुवाद ‘अभियांत्रिकी कर्मशाला अभ्यास’ के रूप में किया गया है। अब मुझे बताओ कि नाम बदलकर क्या हासिल किया गया है। उन्हें तकनीकी शब्दों को अंग्रेजी में रखना चाहिए था, जिस तरह से यह चिकित्सा पुस्तकों के साथ किया गया है।