भोपाल। 16 दिसंबर से होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर कांग्रेस अभी से आक्रामक रूख में दिखने लगी है। खासकर सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से विधायक निर्मला सप्रे को लेकर कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि वह सदन में उन्हें अपने साथ नहीं बैठाएगी।
लोकसभा चुनाव के समय बीना में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की उपस्थिति में निर्मला सप्रे के भाजपा में शामिल होने की घोषणा की गई थी। उन्होंने चुनाव में सागर लोकसभा सीट से कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी चंद्रभूषण सिंह बुंदेला के विरुद्ध काम किया। परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे। निर्मला सप्रे सदस्यता को लेकर भले ही अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है, पर कांग्रेस ने यह मान लिया है कि वह अब भाजपा की सदस्य हैं। ऐसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पार्टी उन्हें अपने साथ नहीं बैठाएगी। 15 दिसंबर को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
शीतकालीन सत्र में सदस्यता पर फैसला
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दलबदल कानून के अंतर्गत उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए आवेदन भी दिया। इस पर तीन बार नोटिस दिया जा चुका है पर निर्मला सप्रे ने अब तक कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया है। वह प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित बैठक में भी शामिल हो चुकी हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले उनकी सदस्यता को लेकर निर्णय होने की संभावना है। इस मामले पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि भाजपा का विश्वास लोकतांत्रिक व्यवस्था पर नहीं है। देशभर में लगभग 600 निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का दलबदल कराया जा चुका है। निर्मला सप्रे को लेकर हमें कोई भ्रम नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के आवेदन पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को लेना है पर इसे टाला जा रहा है। हमने विधिक परामर्श ले लिया है और जल्द ही कोर्ट में आवेदन करेंगे।
शीतकालीन सत्र को लेकर कांग्रेस का आक्रामक रूख
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