Thursday, February 13, 2025
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ईडी-लोकायुक्त-एटीएस: काफी देर की तलाशी, फिर भी हाथ न लगे सौरभ और जीतू

भोपाल: मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में हुए भ्रष्टाचार के मामले में मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की तलाश में पुलिस और जांच एजेंसियां ​​खाली हाथ हैं। उधर, इंदौर में पार्षद के बेटे से मारपीट के मामले में पार्षद जीतू यादव को बयान के लिए नोटिस जारी किया गया है, लेकिन उनका भी पता नहीं चल पाया है। कुल मिलाकर लोकायुक्त पुलिस, ईडी और एटीएस समेत सभी एजेंसियां ​​नाकाम साबित हुई हैं। मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में हुए कालेधन घोटाले के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की तलाश जोरों पर चल रही है, लेकिन अब तक उनकी गिरफ्तारी में कोई सफलता नहीं मिल पाई है। जांच में शामिल विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियां- लोकायुक्त पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग भी अब तक खाली हाथ हैं। सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है, जबकि दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने समन जारी कर दिया है। इसके साथ ही एजेंसियों ने उन्हें गिरफ्तार करने की औपचारिकता पूरी कर ली है। सौरभ शर्मा के बारे में लोकायुक्त की ओर से बताया गया था कि वह दुबई में हो सकता है, लेकिन अब एजेंसियों को इनपुट मिले हैं कि सौरभ शर्मा और उसकी पत्नी दिव्या शर्मा भारत में ही छिपे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि वह अपने परिजनों के संपर्क में भी है।

काली कमाई के कुबेर की नियुक्ति पर भी उठे सवाल

सौरभ शर्मा के पिता स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थे, उनकी मौत के बाद सौरभ को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। स्वास्थ्य विभाग में पद न होने के कारण सौरभ को 2016 में परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति मिली थी। इस बीच सौरभ शर्मा की ओर से नियुक्ति के लिए दिए गए शपथ पत्र पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि गलत जानकारी देकर नौकरी हासिल की गई। सौरभ ने 2023 तक सिर्फ सात साल नौकरी की और अकूत संपत्ति अर्जित की। सौरभ परिवहन विभाग की चेकपोस्ट से अवैध कमाई वसूलने का काम करता था।

35 दिन पहले लोकायुक्त ने मारा था छापा

भोपाल में अरेरा कॉलोनी स्थित सौरभ शर्मा के आवास और कार्यालय पर लोकायुक्त ने छापा मारा था। इस दौरान लोकायुक्त ने उनके आवास से 7.98 करोड़ रुपए की चल संपत्ति जब्त की थी। इसमें 235 किलो चांदी और 2.87 करोड़ रुपए नकद मिले थे। शर्मा ने भ्रष्ट तरीके से अर्जित आय का इस्तेमाल अपनी मां, पत्नी, रिश्तेदारों और करीबियों के नाम पर संपत्ति बनाने में किया था। इसमें उनके करीबी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के नाम पर स्कूल और होटल बनाना भी शामिल है। सौरभ के खिलाफ विभिन्न राज्यों में संपत्ति निवेश की जानकारी भी सामने आई है और अब इसमें भी जांच चल रही है।

आईटी ने सोना लदी कार जब्त की

लोकायुक्त की कार्रवाई के बीच आयकर विभाग की टीम ने भोपाल के मेंडोरी गांव में सोने से लदी कार जब्त की। इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए जब्त किए गए। यह कार सौरभ के करीबी चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इस कार्रवाई के सात दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में सौरभ और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में ईडी ने 23 करोड़ रुपए की चल संपत्ति जब्त की। हाल ही में ईडी ने भोपाल, ग्वालियर और पुणे में सौरभ शर्मा से जुड़े लोगों के ठिकानों पर कार्रवाई की थी। इसमें 12 लाख रुपए, 9.9 किलो चांदी और डिजिटल डिवाइस में प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। इसके अलावा बैंक खातों से 30 लाख रुपए जब्त किए गए हैं।

पार्षद तीन सप्ताह बाद भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर

इंदौर में भाजपा पार्षद कमलेश कालरा के घर पर हमला और उनके बेटे से बदसलूकी का मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पुलिस ने 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। अब तक 20 आरोपी जेल पहुंच चुके हैं, लेकिन पुलिस जीतू यादव के भाई और हमले के मुख्य आरोपी अभिषेक उर्फ ​​अवि को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस ने अभी तक पार्षद जीतू यादव को आरोपी नहीं बनाया है। उसे बयान देने के लिए नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वह भी घटना के छठे दिन फरार हो गया।

जीतू को आरोपी बना सकती है पुलिस

कालरा की शिकायत पर दर्ज मामले में जीतू फिलहाल आरोपी नहीं है, लेकिन हमले के साजिशकर्ता के तौर पर पुलिस उसे आरोपी बना सकती है। जीतू के भाई ने अन्य आरोपियों को इकट्ठा किया था और कालरा के घर हमला करने आया था। घटना के समय जीतू की कार भी घटनास्थल के पास खड़ी थी। यादव को इस बात का शक हुआ, इसलिए वह भाग गया।

दिल्ली तक फैला बवाल, फिर एफआईआर

पहले तो पार्षद कालरा और यादव के बीच विवाद को पुलिस और भाजपा संगठन हल्के में ले रहा था, लेकिन जब विवाद से जुड़ी आपत्तिजनक फुटेज और भाजपा संगठन को लेकर यादव की कॉल रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो संगठन की भी आलोचना होने लगी। इस घटना के संबंध में जब प्रधानमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी गई, तो आनन-फानन में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद जीतू यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।

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