भोपाल । कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दो साल तक टल गए आलमी तबलीगी इज्तिमा का इस बार आयोजन का रास्ता साफ होता दिख रहा है। इस वर्ष यह धार्मिक समागम 18 नवंबर से शुरू होगा जो 21 नवंबर को सामूहिक दुआ के साथ समाप्त । हालांकि पहली बार इज्तिमा में किसी और देश की जमातें शामिल नहीं होगी । आलमी तबलीगी इज्तिमा कमेटी के अतीक उल इस्लाम ने बताया कि वर्ष 2020 में कोरोना की गंभीरता के चलते इज्तिमा निरस्त कर दिया गया था। वर्ष 2021 में भी आयोजन समिति ने संक्रमण के खतरे देखते को हुए स्वयं निर्णय लेकर इस धार्मिक समागम का आयोजन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि अब हालात सामान्य हो चुके हैं। जिसके चलते दुनियाभर की अकीदत वाले इस आयोजन को आकार देने की तैयारी की जा रही है। ईंटखेड़ी में होने वाले इस कार्यक्रम के लिए रूपरेखा बनाना शुरू कर दी गई है। आयोजन स्थल पर जरूरी कामों के लिए पीडब्ल्यूडी, पीएचई, बिजली कंपनी, नगर निगम प्रशासन आदि को सूचित कर दिया गया है। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने भी अायाेजन को लेकर व्यवस्था पर काम शुरू कर दिया है। अतीक उल इस्लाम ने बताया कि चार दिन के इस आयोजन में देशभर की हजारों जमातें शामिल होंगी। धर्म सभा को संबोधित करने के लिए देश के कई बड़े उलेमा हजरात तशरीफ लायेंगे।
विदेशी जमाते नहीं होंगी शामिल
आलमी तबलीगी इज्तिमा के 75 वर्ष में ये पहली बार होगा कि इसमें हिंदुस्तान के अलावा किसी और देश की जमात शामिल नहीं होंगी। दुनियाभर में फैली बीमारियों और इनके खतरों से बचाव के लिए इज्तिमा कमेटी के जिम्मेदारों ने यह फैसला लिया है।
1947 में हुई थी शुरुआत
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में तीसरा स्थान रखने वाला भोपाल का इज्तिमा वर्ष 1947 में मस्जिद शकूर खां में महज 13 लोगों की शिरकत से शुरू हुआ था। इसके अगले वर्ष ताजुल मसाजिद के तैयार हो जाने के बाद से इस आयोजन को यहां शिफ्ट कर दिया गया। लंबे समय तक यहां होने वाले आयोजन में बढ़ती जमातियों की तादाद के बाद इज्तिमा का आयाेजन ईंटखेड़ी में किया जाने लगा।