Saturday, July 27, 2024
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3 दिसंबर को भोपाल में गम और खुशी एक साथ मनाई जाएगी, जानिए वजह

Bhopal News: मध्य प्रदेश के भोपाल में हुए गैस त्रासदी (Bhopal gas tragedy) की 38वीं बरसी पर दिवंगतों की स्मृति में 3 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे भोपाल में बरकतउल्ला भवन में श्रृद्धांजलि एवं प्रार्थना सभा होगी। धर्माचार्यों द्वारा पाठ के बाद मुख्यमंत्री चौहान द्वारा भोपाल गैस त्रासदी में दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की जायेगी। इसके बाद दिवंगतों की स्मृति में 2 मिनिट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी जायेगी। लेकिन यह पहला अवसर होगा जब 3 दिसंबर को भोपाल में खुशी और गम एक साथ मनाया जाएगा।

भोपाल जिले में 7 विधानसभा

गैस त्रासदी की बरसी पर अपने परिजनों को खोने वाले परिजन दुख जताएंगे तो वहीं चुनाव परिणाम में जीत हासिल करने वाले नेता, उनकी पार्टी और परिजन खुशियां मनाएंगे। इन खुशियों के लिए जमकर ढोल नगाड़े बजेंगे तो वहीं आतिशबाजी भी होगी। भोपाल जिले में 7 विधानसभा आती है, जिनमें हुजूर, नरेला, भोपाल उत्तर, बैरसिया, भोपाल दक्षिण, गोविंदपुरा व भोपाल दक्षिण-पश्चिम। सातों ही विधानसभाओं के परिणाम भी कल सूबे के साथ ही आने वाले हैं. खास यह है कि कल 3 दिसंबर को ही भोपाल गैस त्रासदीकी बरसी है। ऐसे में कल राजधानी भोपाल में गम और खुशी का नजारा एक साथ देखने को मिलेगा।

मतगणना की तारीख बदलने की थी मांग

भोपाल में मतगणना की तारीख बदलने के लिए चार प्रत्याशियों ने निर्वाचन आयोग से मांग की थी। हालांकि इन चारों ही प्रत्याशियों की इस मांग का असर नहीं हो सका है।चुनाव आयोग से की गई शिकायत में बताया था कि 3 दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी की बरसी है।

जानें भोपाल गैस त्रासदी के बारे में

मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगों की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइलआइसोसाइनेट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3787 लोगों की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी।

प्रभावित होने वालों की संख्या लगभग 38,478

अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे। 2006 में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने वालों की संख्या लगभग 38,478 थी। 3900 तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये।

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