भोपाल। गुजरात विधानसभा चुनाव में पूरे घर को बदल डालों की नीति पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्षश नेतृत्व में मुख्यमंत्री सहित आधे से ज्यादा मंत्रियों के टिकट काट कर युवाओं को मौका दिया जिससे गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को सरकार विरोधी लहर का नुकसान नहीं हुआ। यही हाल कमोवेश कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपनाया है। कर्नाटक में कई मंत्रियों व पूर्व मुख्यमंत्री तक को टिकट नहीं दिया जिसके बाद मध्यप्रदेश में उम्र दराज मंत्रियों व वरिष्ठ भाजपा नेताओं यह बात घर कर रही थी कि कहीं पार्टी हमारा भी टिकट न काट दें। लेकिन कर्नाटक में यह फार्मला बिल्कुल पीट गया और भाजपा की निराशा जनक हार हई।
ऐसे में मध्यप्रदेश के भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व उम्र दराज मंत्रियों को पार्टी की हार के बाबजूद राहत यह लग रहा है कि अब टिकट बच सकता है। ऐस इसलिए लग रहा है कि क्योंकि वरिष्ठ नेताओं को टिकट न देकर उनकी नराजगी मोल लेकर भाजपा को मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी करना आसान नहीं होगा।
इस साल के अंत में मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। शनिवार को आए नतीजों में बीजेपी की हार हुई है। कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर उससे सत्ता छीन ली है। कर्नाटक के नतीजों का एमपी में असर पड़ना तय है। खासकर इसलिए कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व कर्नाटक चुनाव के बाद एमपी में सत्ता और संगठन में बड़े बदलावों की तैयारी कर रहा था। अब इन तैयारियों को अमलीजामा पहनाना मुश्किल हो सकता है। यह उन नेताओं के लिए राहत की बात हो सकती है जिन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने की आशंका जताई जा रही थी। जिन नेताओं को चुनाव में टिकट कटने का डर सता रहा था, वे भी फिलहाल राहत की सांस ले सकते हैं।
मध्यप्रदेश में भी पिछले कई महीनों से शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में बदलाव की चर्चा चल रही है। खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों की जगह नए चेहरों को शामिल करने का प्लान है। इसी तरह, विधायकों के परफॉर्मेंस के आकलन के लिए भी सर्वे कराया जा रहा है। खराब रिपोर्ट कार्ड वाले विधायकों को पहले ही आगाह कर दिया गया है कि हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें टिकट नहीं मिलेगा।