बिहार के बालू घाटों से फिलहाल खनन पर रोक है। मानसून को देखते हुए प्रत्येक वर्ष यह रोक लगाई जाती है। नदियों से बालू का खनन वापस 15 अक्टूबर से प्रारंभ होगा। जिसे देखते हुए खान एवं भू-तत्व विभाग अभी से बचे हुए घाटों की बंदोबस्त को लेकर पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलाने की कवायद में जुट गया है।
हाल के दिनों में खान एवं भू-तत्व विभाग के स्तर पर जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों की उपस्थिति में बालू घाटों के बंदोबस्त को लेकर एक समीक्षा बैठक हुई। जिसमें 13 जिलों के खनिज विकास पदाधिकारी शामिल हुए।
लिस्ट में कौन-कौन से जिले?
इन जिलों में रोहतास, कैमूर, पटना, भोजपुर, नालंदा, बक्सर, अरवल, औरंगाबाद, गया, नवादा, जमुई, लखीसराय और मुंगेर प्रमुख रहे। इन 13 जिलों में कुल बालू घाट कलस्टर की संख्या 610 है। समीक्षा के दौरान यह जानकारी सामने आई कि 610 बालू घाटों में से अब तक 294 घाटों की बंदोबस्त की गई है, जबकि 316 बालू घाटों की बंदोबस्त प्रक्रियाधीन है।
जिन 294 बालू घाटों की बंदोबस्ती हो चुकी है उनमें से अब तक 181 घाटों को नदी से बालू खनन के लिए आवश्यक पर्यावरण अनापत्ति प्राप्त हो चुकी है। जिसके बाद 132 बालू घाटों को संचालित किया गया है।
विभाग के निदेशक ने दिए ये निर्देश
इन तथ्यों के सामने आने के बाद खान एवं भू-तत्व विभाग के निदेशक के स्तर पर जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए कि 15 अक्टूबर के पूर्व तक नीलामी हुए सभी 294 बालू घाटों को पर्यावरण अनापत्ति दिलाने की दिशा में कार्य करें। साथ ही सुनिश्चित करें कि यह कार्य प्राथमिकता में हो और कम से कम कम 13 जिलों के तीन सौ बालू घाटों से खनन प्रारंभ हो जाए।
इसके साथ ही शेष बचे घाटों की नीलामी प्रक्रिया पूरी करते हुए अन्य प्रक्रियागत कार्य भी प्राथमिकता में करें। मुख्यालय को भी इसकी सूचना देने के निर्देश खनिज विकास पदाधिकारियों को दिए गए हैं।