Wednesday, February 5, 2025
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20 जिलों में फोल्डस्कोप का प्रयोग: मिट्टी की गुणवत्ता और बीमारियों का पता लगाने वाली ऐसी है तकनीक

छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में खेती को और भी बेहतर और समृद्ध बनाने के लिए हर दिन नए प्रयोग किए जा रहे हैं। किसानों को उच्च तकनीक वाले कृषि उपकरणों का उपयोग करने और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। ऐसे में एक नई तकनीक भी सामने आई है। जिसका नाम है फोल्डस्कोप। राज्य के किसान अब फोल्डस्कोप तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में फसलों में कीटों के प्रबंधन और उच्च नस्ल के पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों को फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य के 20 जिलों में फोल्डस्कोप तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों को 'फोल्डस्कोप' नामक पोर्टेबल माइक्रोस्कोप भी वितरित किया गया है, जिसका उद्देश्य खेती और पशुपालन में वैज्ञानिक तकनीकों से किसानों को सशक्त और मजबूत बनाना है।

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हुआ लागू

राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान के सहयोग से रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार-भाटापारा, रायपुर, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, कोरिया, सरगुजा, जशपुर, कोरबा, सक्ती, महासमुंद, बिलासपुर, मुंगेली, कबीरधाम, बेमेतरा, कांकेर और बस्तर जिले के 30 से अधिक गांवों में इसे लागू किया गया है। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 70 फीसदी से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है। खेती छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की धुरी भी है। छत्तीसगढ़ को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को हर संभव मदद दे रही है।

रोगों का पता लगाने में कारगर

किसान गोलोविनोमाइसीज सिकोरोसारम और एरीसिफे पॉलीगोनी जैसे रोगजनकों का पता लगा सकते हैं। फोल्डस्कोप सिर्फ खेती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल पशुपालन में भी किया जा रहा है। इसका उपयोग मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए वीर्य की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए किया गया है। इससे गर्भधारण दर में सुधार हुआ है और देशी मवेशियों की नस्लों की ग्रेडिंग में सुधार हो रहा है। फोल्डस्कोप का उपयोग पांच जैविक कीटनाशकों और दो बायोएजेंटों के परीक्षण के लिए भी किया गया है। इससे रसायनों पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। फोल्डस्कोप बनाने का विचार तब आया जब प्रोफेसर मनु प्रकाश ने खेतों का दौरा किया और पाया कि वैज्ञानिक उपकरणों की अनुपलब्धता किसानों के लिए एक बड़ी बाधा है। उन्होंने एक ऐसा उपकरण विकसित किया जो सस्ता, टिकाऊ और ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग के लिए आदर्श है। फोल्डस्कोप ने छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए कृषि और पशुपालन को सरल और वैज्ञानिक बना दिया है। यह उपकरण न केवल खेती की लागत को कम कर रहा है बल्कि फसलों और मवेशियों की गुणवत्ता में सुधार करके उनकी आय बढ़ाने में भी कारगर साबित हो रहा है।

यहां जानें, क्या है फोल्डस्कोप तकनीक?

फोल्डस्कोप स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक प्रोफेसर मनु प्रकाश और उनकी टीम द्वारा विकसित एक किफायती और पोर्टेबल माइक्रोस्कोप है। इसे 2014 में लॉन्च किया गया था और तब से इसका इस्तेमाल शिक्षा, शोध और निदान के लिए किया जा रहा है। कृषि और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में यह उपकरण अत्यंत उपयोगी और किफायती है। किसान कीट और रोग का पता लगाने, मिट्टी की गुणवत्ता की जांच और जल विश्लेषण के लिए फोल्डस्कोप का उपयोग कर रहे हैं। इसकी मदद से फसलों में पाउडरी फफूंद, पत्ती झुलसा, पत्ती धब्बा और कटाई के बाद होने वाली बीमारियों की पहचान की जा रही है। फोल्डस्कोप की मदद से अब तक 16 तरह की फफूंद जनित बीमारियों और उनके कारक जीवों की पहचान की जा चुकी है।

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