हजारों सालों से चांद इंसान को आकर्षित करता रहा है। चंद्रमा को लेकर हमारे देश में कई मान्यताएं प्रचलित है। बचपन से ही हमें बताया जाता है कि चंद्रमा हमारा मामा है। चंदामामा कहकर मां अपने बच्चों को चांद दिखाती है। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। करवा चौथ का व्रत भी चंद्रमा की पूजा के साथ ही खोला जाता है। हमारे देश में बड़ी चुनौती के लिये कहावत भी है क्या चांद छूने का बात करते हो। जाने ऐसी ही कितना प्रचलित मान्यताएं और कहावतें है जो भारत में प्रचलित है। चंद्रमा ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अपने प्रति आकर्षण पैदा किया है क्योंकि चंद्रमा एकमात्र ऐसा ग्रह है जो कि धरती के सबसे पास है और यही कारण रहा है कि इंसान ने चांद तक पहुंच तो गए हैं लेकिन अब भी वहां जीवन की तलाश जारी है।
चांद पर सुनाई देना बंद हो जाता है, जानें वजह
साथ ही क्या आप ये जानते हैं कि चंद्रमा पर पहुंंचते ही इंसान को सुनाई देना बंद हो जाता है। यदि नहीं तो चलिए इसकी वजह जान लेते हैं। चंद्रमा पर क्यों सुनाई नहीं देती अपनी ही आवाज चंद्रमा पर इंसान को सुनाई देना बंद हो जाता है। जिसके चलते वो अपनी ही आवाज नहीं सुन पाता। इसकी वजह काफी इंटरेस्टिंग है। दरअसल पृथ्वी पर हम एक दूसरे की आवाज आसानी से इसलिए सुन सकते हैं क्योंकि यहां हवा और गैस है, जिसके माध्यम सेे हम जो बोलते है वह आवाज हमारे कान तक और एक-व्यक्ति की आवाज दूूसरे व्यक्ति तक पहुंंचती है। ये ध्वनि तरंगों के रूप में एक-जगह से दूसरी जगह पहुंंचती है। वहीं ध्वनि की उत्पत्ति कंपन से होती है। हालांकि ये भी जरूरी नहीं है कि हर ध्वनि कंपन ही हो। वहीं आवाज को लोगों तक पहुंचने के लिए एक माध्यम की जरुरत होती है, जो गैसीय होता है, लेकिन चंद्रमा पर कोई गैस मौजूद नहीं है यही वजह है कि वहां एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आवाज नहीं पहुंचती और न ही अपनी आवाज सुनाई देेती है। वहीं ध्वनि की उत्पत्ति कंपन से होती है।