Saturday, July 27, 2024
Homeट्रेंडिंगदेश के इस गांव में नहीं चलता भारतीय कानून

देश के इस गांव में नहीं चलता भारतीय कानून

प्रतिवर्ष 26 जनवरी को भारत अपना गणतंत्र दिवस मनाता है। आजाद भारत के इतिहास में यह बहुत ही गौरवशाली दिन है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान आधिकारिक रूप से लागू किया गया था। इसी के साथ भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया। देश का संविधान कानून व्यवस्था के सुचारू संचालन का आधार होता है। भारत में भी संविधान के आधार पर पूरे देश की कानून व्यवस्था चलती है। प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान के मुताबिक कुछ अधिकार दिए गए है, वहीं उनके कुछ कर्तव्य भी बताए गए हैं, जिनका अनुसरण कर वह एक आदर्श नागरिक बनते हैं।

वैसे तो पूरा देश ही भारतीय संविधान और कानून के दायरे में आता है लेकिन भारत में एक ऐसा गांव भी है, जहां देश का कानून लागू नहीं होता। इस गांव का अपना संविधान है। यहां के लोगों की अपनी न्यायपालिका है, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका है। गांव के लोगों का अपनी संसद है, जहां उनके द्वारा चयनित सदस्य होते हैं। ये गांव किसी पड़ोसी देश की सीमा पर नहीं, ना ही केंद्र शासित प्रदेश के अंतर्गत आता है। भारत का हिस्सा होते हुए भी खुद का कानून और संविधान लागू करने वाले इस गांव का इतिहास और यहां का रहन-सहन बहुत रोचक है।

कहां हैं मलाणा गांव

मलाणा गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के दुर्गम इलाके में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए कुल्लू से महज 45 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। इसके लिए मणिकर्ण रूट से कसोल से होते हुए मलाणा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट के रास्ते जा सकते हैं। हालांकि यहां पहुंचना आसान नहीं है। इस गांव के लिए हिमाचल परिवहन की सिर्फ एक बस ही जाती है, जो कि कुल्लू से दोपहर तीन बजे रवाना होती है।

पर्यटकों के बीच लोकप्रिय मलाणा गांव

यह गांव पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। जो भी इस गांव की खासियत, यहां के इतिहास और नियमों के बारे में सुनता है, वह मलाणा गांव जाना चाहता है और घूमना चाहता है। हालांकि उन्हें गांव के अंदर ठहरने की अनुमति नहीं है।

मलाणा गांव के नियम

मलाणा गांव के कई नियमों में से एक ये है कि बाहर से आने वाले लोग गांव में ठहर नहीं सकते हैं लेकिन इसके बावजूद यात्री मलाणा गांव आते हैं और गांव के बाहर ही टेंट लगाकर रुकते हैं।गांव के कुछ नियम काफी अजीब हैं। इसमें से एक नियम है कि गांव की दीवार को छूने की मनाही है। गांव की बाहरी दीवार को कोई भी बाहर से आने वाला व्यक्ति छू नहीं सकता और न ही पार कर सकता है। अगर वह नियम तोड़ते हैं तो उन्हें जुर्माना देना पड़ सकता है। पर्यटकों को गांव के बाहर ही टेंट में ठहरना होता है, ताकि वह गांव की दीवार तक को छू न सकें।

मलाणा गांव का कानून

1.हिमाचल प्रदेश के इस गांव की खुद की न्यायपालिका है। गांव की अपनी संसद है, जिसमें दो सदन है- पहली ज्योष्ठांग (ऊपरी सदन) और दूसरी कनिष्ठांग (निचला सदन)।

2.ज्येष्ठांग में कुल 11 सदस्य हैं, इनमें से तीन कारदार, गुरु व पुजारी होते हैं, जो कि स्थाई सदस्य हैं। बाकि के आठ सदस्यों को ग्रामीण मतदान करके चयनित करते हैं।

3.कनिष्ठांग सदन में गांव के हर घर से एक सदस्य प्रतिनिधि होता है। संसद भवन के तौर पर यहां एक ऐतिहासिक चौपाल है, जहां सारे विवादों के फैसले होते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments