Saturday, July 27, 2024
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रत्ती भर नहीं… रत्ती का पौधा, है बड़ा गुणकारी, बहुत कम लोग जानते हैं यह रहस्य

Ratti plant: गुंजा या रत्ती के पौधे से बहुत सी दवाएं बनाई जाती हैं। आयुर्वेद में इस पौधे का बहुत महत्व है, रत्ती भर भी चिंता नहीं है, ये बात तो आपने हमेशा अपने माता-पिता से सुनी होगी। अगर आपसे इसका मतलब पूछे तो आप भी कहेंगे ‘बिल्कुल भी या जरा सी भी चिंता नहीं है’। यानी लोग रत्ती को कुछ मापने के लिए काम में लेते हैं। जैसे कई लोग ये भी कहते हैं रत्ती भर भी शर्म नहीं है। साथ ही ज्वैलरी या रत्नों की खरीददारी के वक्त भी इस शब्द का काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर किसी के वजन या उसकी क्वालिटी के लिए रत्ती शब्द का इस्तेमाल क्यों करते हैं। गुंजा या रत्ती (Coral Bead) लता जाति की एक वनस्पति है। शिम्बी के पक जाने पर लता शुष्क हो जाती है। गुंजा के फूल सेम की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु प्रत्येक में 4-5 गुंजा बीज निकलते हैं अर्थात सफेद में सफेद तथा रक्त में लाल बीज निकलते हैं। अशुद्ध फल का सेवन करने से विसूचिका की भांति ही उल्टी और दस्त हो जाते हैं। इसकी जड़े भ्रमवश मुलहठी के स्थान में भी प्रयुक्त होती है।

गुंजा गुंजा दो प्रकार की होती है। तीन प्रकार की होती है। सफेद,लाल,काली इसका उपयोग पशुओं के घावों के कीड़े मारने के लिए खुराक के रूप में किया जाता है। एक खुराक में अधिकतम 2 बीज और अधिकतम 2 खुराक दी जाती है । वैसे आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि रत्ती तो एक पौधे का नाम है और वो पेड़ पर उगता है, तो फिर कुछ मापने के लिए रत्ती का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। इसकी कहानी काफी दिलचस्प है और खास बात ये है कि यह कहानी इस रत्ती के पौधे से ही जुड़ी है और इस पौधे की वजह से हर जगह रत्ती का इस्तेमाल किया जाता है।

रत्ती तो एक पौधे का नाम है और वो पेड़ पर उगता है

वैसे आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि रत्ती तो एक पौधे का नाम है और वो पेड़ पर उगता है, तो फिर कुछ मापने के लिए रत्ती का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। इसकी कहानी काफी दिलचस्प है और खास बात ये है कि यह कहानी इस रत्ती के पौधे से ही जुड़ी है और इस पौधे की वजह से हर जगह रत्ती का इस्तेमाल किया जाता है।

क्या है रत्ती?

दरअसल, रत्ती एक पौधे पर उगता है। यह जिस पौधे पर उगता है, उसे कोई लोग गूंजा भी कहते हैं।गूंजा नाम के उस पौधे पर कुछ फलियां उगती है और उन फलियों के अंदर कुछ बीज होते हैं। फली में उगने वाले इन बीजों को रत्ती कहते हैं। यानी रत्ती के बीज होते हैं।इनकी खास बात ये है कि फली किसी भी आकार के हो, ये एक ही आकार के होते हैं। सभी पौधों में और सभी फलियों में एक ही तरीके के रत्ती निकलते हैं। इनका वजन एक ही होता है और इन बीजों की समानता में मिली ग्राम का भी फर्क नहीं होता है।हर इलाके के हिसाब से इसके अलग अलग नाम है, लेकिन इसके पौधे पहाड़ों में काफी पाए जाते हैं। अगर दिखने की बात करें तो यह लाल और काले रंग का होता है। इसे अंग्रेजी में Rosary pea कहते हैं, जिसका वैज्ञानिक नाम Abrus precatorius है।

क्यों होता है वजन के लिए इस्तेमाल?

यह वजन में काफी हल्का होता है, लेकिन सभी रत्ती का वजन एक होने की वजह से पहले इसका इस्तेमाल कीमती वस्तुएं मापने या तोलने के लिए होता था। पहले सोने आदि भी इसी से तौले जाते थे और रत्ती इस वजह से मशहूर है। यह काफी हल्का होता है इसलिए वजन नापने के लिए इस बीज का इस्तेमाल किया जाता था और इससे ही रत्ती आज भी फेमस है।

अगर रत्ती के वजन की बात करें तो इसमें 121.49 मिलीग्राम वजन होता है। वैसे कहा जाता है कि 8 रत्ती का एक माशा होता है और 12 माशा का एक तोला होता है। तोला अभी करीब 10 ग्राम का माना जाता है, जिसके आधार पर सोने के भाव आते हैं। सोना खरीदने में तोला काफी मायने रखता है। कहा जाता है कि इसके स्वास्थ्य के लिए भी कई फायदे होते हैं और मुंह के छाले ठीक करने के लिए इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

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