Neuralink: अब वो दिन दुर नहीं जब आने वाले दिनों में एक चिप के जरिए बिना बोले-सोचने भर से काम हो जाएंगे, ब्लाइंड इंसान भी देख सकेंगे, पैरालिसिस से पीड़ित इंसान केवल दिमाग में सोचकर मोबाइल और कंप्यूटर ऑपरेट कर सकेंगे। ये दावा है दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी और न्यूरालिंक के फाउंडर एलन मस्क का। उन्होंने न्यूरालिंक के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर में ‘शो एंड टेल’ इवेंट किया और अपने इस डिवाइस की प्रोग्रेस की जानकारी दी। न्यूरालिंक की तरफ से दावा किया गया है कि इस चिप को लगाने के बाद कई तरह के रोगियों को बड़ी सुविधा मिलेगी, लगभग 6 महीनों में मानव में पहला न्यूरालिंक स्थापित करने में सफलता मिल सकती है।
दिमाग में चिप लगाने के साथ ही एक चिप रीढ़ में भी लगाया जा सकता है. मस्क कहते हैं कि इंसान को बात करने के लिए बोलना नहीं पड़ेगा. इंसान सोचकर भी अपनी बात कह पाएगा. बता दें कि 2021 में कंपनी ने दावा किया था कि उसने एक बंदर में ब्रेन चिप इंप्लांट की है. उस बंदर का वीडियो भी न्यूरालिंक ने शेयर किया था.
इंसानों में ब्रेन चिप का टेस्ट करेंगे मस्क
टेस्ला (Tesla) और स्पेस X (Space X) के अलावा एलन मस्क एक और बड़ी कंपनी के मालिक हैं, जिसका नाम न्यूरालिंक है. मस्क ने बताया कि उनके ब्रेन चिप इंटरफेस स्टार्टअप का डेवलप वायरलेस डिवाइस 6 महीने में ह्यूमन ट्रायल के लिए तैयार हो जाएगा। इसके लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को पेपर जमा कर दिए गए हैं। मस्क ने 6 साल पहले ब्रेन कंट्रोल इंटरफेसेस स्टार्टअप की स्थापना की थी और 2 साल पहले अपने इम्प्लांटेशन रोबोट को दिखाया था।
Neuralink: एक चिप लाएगी क्रांति
मस्क आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को एक नए लेवल पर ले जाना चाहते हैं. उनका दावा है कि ये चिप दिव्यांगों खासकर नेत्रहीनों और पैरालाइज्ड लोगों के लिए वरदान बन जाएगी. इसके पीछे ये तर्क दिया गया है कि मान लीजिए कोई शख्स पैरालाइज्ड है जो अपनी उंगलियां तक नहीं हिला सकता है. ऐसे में अगर ये चिप उसके दिमाग में इंस्टॉल कर दी जाए तब वो इसकी मदद से टाइपिंग, पेंटिंग और यहां तक कि आपको ईमेल भेज सकता है. इसके लिए उसे हिलने की भी जरूरत नहीं होगी. वो बस अपने दिमाग में सोचेगा कि उसे क्या करना है और यह चिप उसके दिमाग को पढ़ कर कंप्यूटर को ऑपरेट करना शुरू कर देगी. मस्क का दावा है कि आने वाले वक्त में वो इस चिप को इतना एडवांस बना लेंगे कि इसकी मदद से नेत्रहीन लोग देख सकेंगे और दिव्यांग चल सकेंगे.
टेलीपेथी के जरिए बंदर ने की टायपिंग
इवेंट में मस्क ने जॉयस्टिक का इस्तेमाल किए बिना एक बंदर का पिनबॉल खेलते हुए वीडियो भी दिखाया। टेलीपेथी के जरिए बंदर ने टाइपिंग भी की। न्यूरालिंक टीम ने उसके सर्जिकल रोबोट को भी डेमोन्सट्रेट किया। इसमें दिखाया गया कि कैसे रोबोट पूरी सर्जरी को अंजाम देता है।
क्या है न्यूरालिंक डिवाइस?
न्यूरालिंक ने सिक्के के आकार का एक डिवाइस बनाया है जिसे “लिंक” नाम दिया गया है। ये डिवाइस कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी अन्य उपकरण को ब्रेन एक्टिविटी (न्यूरल इम्पल्स) से सीधे कंट्रोल करने में सक्षम करता है।
माइक्रोन-स्केल थ्रेड्स को ब्रेन के उन क्षेत्रों में डाला जाएगा जो मूवमेंट को कंट्रोल करते हैं। हर एक थ्रेड में कई इलेक्ट्रोड होते हैं और उन्हें “लिंक” नामक इम्प्लांट से जोड़ता है। कंपनी ने बताया कि लिंक पर थ्रेड इतने महीन और लचीले होते हैं कि उन्हें मानव हाथ से नहीं डाला जा सकता। इसके लिए कंपनी ने एक रोबोटिक प्रणाली डिजाइन की है जिससे थ्रेड को मज़बूती से और कुशलता से इम्प्लांट किया जा सकता है।
कैसे होगी चार्जिंग
हालांकि इस चिप को दूसरी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की तरह चार्ज भी करना पड़ेगा। इसके लिए कॉम्पैक्ट इंडक्टिव चार्जर डिजाइन किया गया है जो बैटरी को बाहर से चार्ज करने के लिए वायरलेस तरीके से इम्प्लांट से जुड़ता है। इसके साथ ही न्यूरालिंक ऐप भी डिजाइन किया गया है, फ़ोन के अपडेटेट सॉफ्टवेयर या वर्जन की तरह इसे बाहर से ही अपडेट भी किया जा सकेगा.
क्या इसे लगाना सेफ होगा?
चिप इम्प्लांट करने में हमेशा जनरल एनेस्थेसिया से जुड़ा रिस्क होता है। ऐसे में प्रोसेस टाइम को कम करके रिस्क कम किया जा सकता है। कंपनी ने इसके लिए न्यूरोसर्जिकल रोबोट डिजाइन किया है, ताकि यह बेहतर तरीके से इलेक्ट्रोड को इम्प्लांट कर सकें। इसके अलावा, रोबोट को स्कल (खोपड़ी) में 25 मिमी डायामीटर के एक छेद के जरिए थ्रेड डालने के लिए डिजाइन किया गया है। ब्रेन में एक डिवाइस डालने से ब्लीडिंग का भी रिस्क है। कंपनी इसे कम करने के लिए माइक्रो-स्केल थ्रेड्स का उपयोग कर रही है।
एलन मस्क खुद अपने दिमाग में लगवाएंगे न्यूरालिंक चिप
अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने दावा किया है कि वे खुद पूरी दुनिया को न्यूरालिंक इंप्लांट लगवाकर दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि सिक्के जैसी यह डिवाइस चुटकियों में दिमाग का हिस्सा बन जाएगी, लगवाने वाले को पता भी नहीं चलेगा कि यह कब लग गई।