Wednesday, December 25, 2024
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आखिर काले रंग के ही क्यों होते हैं गाड़ियों के टायर?

क्या आप जानते हैं हर गाड़ी के टायर (Tyre) काले रंग के क्यों होते हैं जबकि छोटे बच्चों की साइकिलों के टायर तो सफेद, लाल, पीले या दूसरे रंगों के भी होते हैं। आखिर टायर बनाने वाली कंपनी सफेद, पीला, नीला, हरा, गुलाबी या किसी और कलर का टायर क्यों नहीं बनाती है। शायद आपके मन में भी यह सवाल कभी ना कभी आया होगा। भारत ही नहीं विदेशों में भी गाड़ियों के टायर काले रंग के ही होते हैं। इसके पीछे एक बहुत गहरा राज छिपा हुआ है। टायर बनाने वाली सभी कंपनियां टायर का रंग काला ही रखना पसंद करती हैं। तो चलिए हम बताते हैं कि टायर का रंग काला क्यों होता है।

क्यों काले होते हैं टायर?

ये तो आप जानते ही हैं कि टायर रबड़ से बनता है लेकिन प्राकृतिक रबड़ का रंग तो स्लेटी होता है तो फिर टायर काला कैसे? दरअसल, टायर बनाते समय रबड़ का रंग बदला जाता है और ये स्लेटी से काला हो जाता है टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं। टायर बनाने के लिए रबड़ में काला कार्बन भी मिलाया जाता है, जिससे रबर जल्दी नहीं घिसे। अगर सादा रबर का टायर 10 हजार किलोमीटर चल सकता है तो कार्बन युक्त टायर एक लाख किलोमीटर या उससे अधिक चल सकता है। अगर टायर में साधारण रबर लगा दिया जाए तो यह जल्दी ही घिस जाएगा और ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा, इसलिए इसमें काला कार्बन और सल्फर मिलाया जाता है। जिससे टायर काफी दिनों तक चलता है।

आपको बता दें कि काले कार्बन की भी कई श्रेणियां होती हैं। रबर मुलायम होगी या सख्त यह इस पर निर्भर करेगा कि कौन सी श्रेणी का कार्बन उसमें मिलाया गया है। मुलायम रबर के टायरों की पकड़ मजबूत होती है लेकिन वो जल्दी घिस जाते हैं, जबकि सख्त टायर आसानी से नहीं घिसते और ज्यादा दिन तक चलते हैं।

टायर बनाते वक्त इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है और कार्बन काला होने के कारण यह अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी बच जाता है। आपने किसी टायर को जलते हुए देखा हो तो शायद गौर किया हो कि उससे धुआं बहुत ही काला निकलता है। उसका कारण भी यही ब्लैक कार्बन और सल्फर होता है।

वैसे आप देखते होंगे कि बच्चों की साइकिलों में सफेद, पीले और दूसरे रंगों के टायर लगे होते हैं। इसका कारण है कि बच्चों की साइकिल रोड पे ज्यादा नहीं चलती है और बच्चों के साइकिल में काला कार्बन नहीं मिलाया जाता है, इसलिए ये टायर ज्यादा दिन तक नहीं चलते हैं और जल्दी घिस जाते हैं। इस तरह के टायर को निम्न कोटि का टायर भी कहते हैं।

आंखो में नहीं होती चुभन

प्रैक्टिकली देखा जाए तो अगर गाड़ी के टायरों के रंग लाल या पीला होता तो वो सड़क के रंग से मैच न करता। इसके अलावा ये आंखों को चुभता भी जिससे गाड़ी चला रहे चालक का फोकस बार-बार बिगड़ सकता था।

इन वजहों से गाड़ी के टायरों में बने होते हैं खांचे

टायर की सतह पर बने खांचों की वजह से टायर को सड़क पर मजबूत पकड़ मिलती है जिससे टायर सड़क पर फिसलता नहीं हैं। साथ ही ये खांचे सड़क और टायर के बीच घर्षण को बढ़ाते हैं जिससे टायर को आगे बढ़ने में मदद मिलती है। जैसे जैसे टायर घिसते जाते हैं, इसकी पकड़ सड़क पर कमजोर होती जाती है।

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