Saturday, July 27, 2024
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गाय के गोबर से अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा रॉकेट, Japan Space Mission के क्षेत्र में मिली बड़ी सफलता

Cow-dung-powered Japan Space rocket: पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मंथन कर रही है कि कैसे पूरी दुनिया में कार्बन उत्सर्जन कम किया जाय और ग्लोबल वार्मिंग को अब तक गाय के गोबर का इस्तेमाल जैव उर्वरक, देशी खाद, रसोई गैस जैसी कई बुनियादी जरूरतों और अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठानों तक ही होता था लेकिन अब इसका इस्तेमाल रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए किया जा सकता है। अब जापान के औद्योगिक गैस उत्पादक फर्म एयर वॉटर और साइंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज ने मिलकर इस ईंधन से रॉकेट उड़ाते हुए नई उपलब्धि हासिल की है। इस ईंधन को गोबर से तैयार किया गया है। इस सफलता के बाद ये संस्थान मान रहे हैं कि आने वाले समय में दुनियाभर में इसका इस्तेमाल होगा। यहां तक कि सैटेलाइट लॉन्च में भी इसे यूज किया जा सकता है।

“स्थैतिक अग्नि परीक्षण”

जापान में इंजीनियरों ने गाय के गोबर से प्राप्त तरल मीथेन गैस से संचालित एक नए किस्म के रॉकेट इंजन का परीक्षण किया है, जो अधिक टिकाऊ प्रणोदक (propellent) के विकास की ओर ले जा सकता है। स्टार्टअप इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज इंक (IST) ने एक बयान में कहा है कि रॉकेट इंजन, जिसे ज़ीरो कहा जाता है, का जापान के होक्काइडो स्पेसपोर्ट में 10 सेकंड तक “स्थैतिक अग्नि परीक्षण” किया गया है। कंपनी ने कहा कि छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी जीरो, तरल बायोमीथेन (Liquid biomethane-LBM) द्वारा संचालित है। यह बायोमीथेन पशुओं के गोबर सेप्राप्त होता है। कंपनी को यह होक्काइडो के डेयरी फार्मों से प्राप्त हुआ है।

पहली बार इस तरह का LBM ईंधन तैयार किया गया

IST ने सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म एक्स पर रॉकेट इंजन के परीक्षण का फुटेज साझा किया है। वीडियो में दिख रहा है कि इंजन चालू हो रहा है और उससे शक्तिशाली क्षैतिज नीली लौ निकलती दिखाई दे रही है। कंपनी ने कहा कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा इस तरह का रॉकेट इंजन विकसित करने के बाद किसी निजी कंपनी द्वारा पहली बार इस तरह का LBM ईंधन तैयार किया गया है। कंपनी ने इसे रॉकेट इंजन साइंस के विकास मेंएक मील का पत्थर करार दिया हैऔर कहा हैकि ऐसा विश्व में पहली बार हुआ है। कंपनी ने ये भी कहा है कि एलबीएम ईंधन बायोगैस के मुख्य घटक मीथेन को अलग और परिष्कृत करके और बाद में इसे लगभग -160 डिग्री सेल्सियस पर द्रवीकृत करके तैयार किया गया है। यह अनूठा प्रयोग ऐसे समय में हुआ है, जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मंथन कर रही है कि कैसे पूरी दुनिया में कार्बन उत्सर्जन कम किया जाय और ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जाय।

रिसर्च में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले मवेशियों और अन्य पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस के बारे में भी चिंता जताई है लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि LBM का इस्तेमाल करने सेना सिर्फ रॉकेट इंजन के ईंधन का एक नया विकल्प मिलेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी यह मील का पत्थर साबित हो सकेगा। जापान को एच3 और पिछले अक्टूबर में सामान्य रूप से विश्वसनीय ठोस-ईंधन एप्सिलॉन के प्रक्षेपण के बाद हुई दुर्घटनाओं से भी जापान को झटका लगा है। जुलाई में एप्सिलॉन के उन्नत संस्करण एप्सिलॉन एस रॉकेट का परीक्षण लॉन्चिंग के 50 सेकेंड बाद एक विस्फोट हो गया था। ऐसे में बायोमीथेन जापान के स्पेस एजेंसी के लिए एक बड़ा सहारा बन सकता है।

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