जिनेवा । चीन में जीरो कोविड नियम हटाए जाने के बाद कोरोना से हालात बेकाबू को गए हैं। स्थिति ऐसी बन गई है कि अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड नहीं हैं। श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार की जगह नहीं हैं और जरूरी दवाइयों की किल्लत लगातार बनी हुई है। बिगड़ते हालात को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने चीन को फटकार लगाते हुए कोरोना के सही आंकड़े बताने के लिए कहा है। वहीं अब फ्रांस और इंग्लैंड ने भी चीन से आने वाले यात्रियों के लिए कोविड निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर दी है. यूरोपीय देशों स्पेन-इटली के बाद फ्रांस और ब्रिटेन ने भी चीन से आने वाले यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर दी है। फ्रांस की ओर से बताया गया है कि चीन से आने वाले यात्रियों को 48 घंटे पहले की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। इसके अलावा आने के बाद यात्रियों की रेंडम टेस्टिंग भी की जाएगी।
चीन से इंग्लैंड आने वाले यात्रियों को भी दो दिन पहले कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। ब्रिटेन में नए नियम 5 जनवरी 2023 से लागू किए जाएंगे। हालांकि चीन से स्कॉटलैंड वेल्स या उत्तरी आयरलैंड के लिए कोई सीधी उड़ान नहीं है। सरकार ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए विकसित क्षेत्रों के साथ काम कर रही है कि इसे जल्द से जल्द पूरे ब्रिटेन में लागू किया जाए। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव स्टीव बार्कले ने कहा कि चीन में इंटरनेशनल बॉर्डर ओपन करने से पहले कोविड के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। इसलिए हमारे लिए यह सही है कि हम आंकड़ों का आकलन करते हुए अस्थायी उपायों की घोषणा करके एहतियाती कदम उठाएं। यात्रियों को निगेटिव रिपोर्ट के बिना उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा 8 जनवरी से चीन से इंग्लैंड आने वाले यात्रियों की रेंडम टेस्ट भी किया जाएगा। एयरपोर्ट पर जिन यात्रियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी उनका सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा।
चीन द्वारा छिपाए जा रहे आंकड़ों और कोरोना से वहां के भयावह हालात को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका भारत ताइवान साउथ कोरिया जापान और इजरायल ने वहां से आने वाले यात्रियों के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। भारत में एक जनवरी से नए नियम लागू हो जाएंगे जिसके तहत भारत में आने वाले यात्रियों को यात्रा से 72 घंटे पहले आरटी-पीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट ऑनलाइन सबमिट करनी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ और चीनी अधिकारियों के बीच कोरोना मामले वैक्सीन ट्रीटमेंट जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर रहा है कि चीन कोई भी आंकड़ा बिना छिपाए दुनिया के साथ साझा करे। इस समय चीन में बढ़ रहे मामले तो चिंता बढ़ाते ही है साथ में उसका डेटा छिपाना और ज्यादा परेशान कर गया है। इस वजह से वहां की असल कोरोना स्थिति पता करना ही सबसे बड़ी चुनौती है। उसके बाद अब चीन के साइंटिस्ट डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ के साथ 3 जनवरी को एक बैठक बुलाई है जिसमें चीनी अधिकारी जीनोम सीक्वेंसिंग का डेटा पेश करेंगे।
चीन में कोरोना बेकाबू अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड नहीं
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