नई दिल्ली । औरंगज़ेब को लेकर उठा विवाद महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना को करीब ले आया है। जबकि बिहार में भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच तकरार पैदा कर रहा है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी की टिप्पणी के खिलाफ एकजुटता दिखाई, वहीं बिहार में जेडी(यू) के कुछ नेताओं के बयान ने भाजपा की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने औरंगजेब की प्रशंसा करने के लिए आज़मी के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की। आज़मी ने अपनी सफाई में कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, लेकिन फिर भी अगर किसी को ठेस पहुंची हैं तब वे अपने बयान वापस लेते हैं। बावजूद इसके, भाजपा और शिवसेना इस मुद्दे को भुनाने में जुटी रही, जिससे हिंदुत्व समर्थकों में उनकी पकड़ मजबूत होती दिखी।
वहीं, बिहार में जेडी(यू) एमएलसी खालिद अनवर ने औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं बताया, जिससे भाजपा नेताओं ने कड़ी आपत्ति जाहिर की। भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर ने अनवर को देशद्रोही बताकर उन्हें सदन से निष्कासित करने और पाकिस्तान भेजने तक की मांग कर डाली। भाजपा के मंत्रियों ने भी मुद्दे को उठाकर शहरों के नाम बदलने तक की वकालत की। हालांकि, जेडी(यू) ने आधिकारिक रूप से अपने एमएलसी के बयान का समर्थन किया। प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा की हिंदुत्व राजनीति से दूरी बनाए रखना चाहते हैं और मुस्लिम वोट बैंक को सुरक्षित रखना उनकी प्राथमिकता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना का गठबंधन हिंदुत्व के मुद्दे पर और मजबूत हो सकता है, जबकि बिहार में भाजपा और जेडी(यू) के बीच यह मतभेद आगामी विधानसभा चुनावों में नई रणनीति की ओर इशारा करता है। भाजपा हिंदुत्व की राजनीति को हवा देकर बिहार में अपने पैर जमाना चाहती है, जबकि जेडी(यू) सामाजिक समरसता को प्राथमिकता दे रही है। बिहार के मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए राजद और एआईएमआईएम जैसी पार्टियां भी विवाद में कूद पड़ी हैं। राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और एआईएमआईएम प्रमुख अख्तरुल ईमान ने भाजपा पर इतिहास के राजनीतिकरण का आरोप लगाया।
औरंगज़ेब विवाद पर महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना एकजुट, बिहार में जदयू से तकरार
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