भगवान विष्णु के हजारों नाम हैं। इनमें एक प्रमुख नाम है नारायण। फिल्मों, टीवी सीरियल या रामलीला में आपने देखा होगा कि नारद मुनि भगवान विष्णु को नारायण नाम से पुकारते हैं। इस नाम का धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है। इस एक नाम में सृष्टि का संपूर्ण सार छिपा हुआ है। इसलिए शास्त्रों में अधिकांश स्थानों पर विष्णु भगवान को नारायण नाम से संबोधित किया गया है। हिन्दू धर्म में अठारह पुराणों का वर्णन मिलता है। इन अठारह पुराणों में विष्णु पुराण एक है। इस पुराण में सृष्टि की रचना का वर्णन किया गया है। इसी प्रम में बताया गया है किस प्रकार विष्णु भगवान ने वाराह रूप धारण करके पृथ्वी को रसातल यानी पाताल लोक से उठाकर जल के मध्य में स्थित किया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने सत्व, रज और तम गुणों से असुर, देव, राक्षस, यक्ष, मनुष्य, सर्प एवं अन्य जीव-जन्तुओं की रचना की।
विष्णु पुराण में बताया गया है कि सृष्टि के समाप्ति के समय सब कुछ जल में समा जाता है और संपूर्ण ब्रह्माण्ड अंधकारमय हो जाता है। भगवान विष्णु चिर निद्रा में जल में शयन करते हैं। देवताओं का दिन आरंभ होने पर भगवान विष्णु फिर से सृष्टि की रचना करते हैं और ब्रह्मा एवं शिव की उत्पत्ति उन्हीं से होती है। भगवान विष्णु प्रथम नर रूप में व्यक्त होते हैं। इसलिए शाŒााW में इन्हें आदिपुरूष कहा गया है। आदि पुरूष विष्णु का निवास यानी 'आयन' नार यानी 'जल' है इसलिए भगवान विष्णु को नारायण नाम से संबोधित किया जाता हैं।
क्यों कहते हैं विष्णु भगवान को नारायण
Contact Us
Owner Name: